Agency:News18 Uttarakhand
Last Updated:February 01, 2025, 11:32 IST
नैनीताल स्थित डी एस बी कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफ़ेसर डॉक्टर ललित तिवारी जानकारी देते हुए बताते हैं कि सुरई हमारी प्रकृति में पाया जाने वाला सदाबहार वृक्ष है. यह 40 मीटर तक ऊंचा होता है.
उत्तराखंड के उच्च इलाकों में पाया जाता है सुरई का पेड़
हाइलाइट्स
- सुरई पेड़ 1000 साल तक जीवित रह सकता है
- सुरई पेड़ मृत आत्माओं को शांति देता है
- सुरई पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर है
नैनीताल: उत्तराखंड की वन संपदा काफी समृद्ध है. उत्तराखंड में कई ऐसे पेड़ पौधे पाए जाते हैं जो बेहद खास होने के साथ ही हमारे धर्म, रीत रिवाज से जुड़े हुए हैं. ऐसा ही एक पेड़ है सुरई, जो उत्तराखंड के उच्च हिमालयी इलाकों में पाया जाता है. इस पेड़ को लेकर कहा जाता है की बेहद सुंदर शंकुधारी होने के कारण यह देवताओं को बेहद प्रिय है. यही वजह है की इस पेड़ से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती है. साथ ही यह एयर प्यूरीफायर का काम भी करता है.
नैनीताल स्थित डी एस बी कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफ़ेसर डॉक्टर ललित तिवारी जानकारी देते हुए बताते हैं कि सुरई हमारी प्रकृति में पाया जाने वाला सदाबहार वृक्ष है. यह 40 मीटर तक ऊंचा होता है. इसे अंग्रेजी में ‘साइप्रस’ भी कहा जाता है. जो भारत के अलावा वेस्ट नॉर्थ अमेरिका, मिड अमेरिका, साउथ चाइना, और उच्च हिमालयी इलाकों में पाया जाता है. अमेरिका में इस पेड़ की खेती होती है. उन्होंने बताया की इस पेड़ को ‘हिमालयन साइप्रस’, ‘भूटान साइप्रस’ के नाम से भी जाना जाता है.
प्रोफेसर तिवारी बताते हैं कि हिन्दू धर्म में सुरई का पेड़ बेहद पवित्र माना गया है. पहाड़ों में सुरई के ज्यादातर पद कब्रिस्तान के आस पास मिलते हैं, ऐसा माना जाता है कि इस पेड़ में देवताओं का वास है, और इस पेड़ की सहायता से मृतकों की आत्मा को शांति मिलती है. यह पेड़ 1000 सालों तक जीवित रह सकता है, उन्होंने बताया कि ईरान में एक पेड़ ऐसा भी है जो पिछले 4000 सालों से भी ज्यादा पुराना है.
कई औषधीय गुणों से है युक्त
प्रोफेसर तिवारी बताते हैं की सुरई का पेड़ कई औषधीय गुणों से युक्त है, इसे दैनिक जीवन में औषधीय तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है. बाजार में साइप्रस का तेल मिलता है, जो त्वचा के लिए बेहद लाभदायक होता है, इस पेड़ की पत्तियों को पीसकर इसका पेस्ट शरीर में लगाने से सूजन में भी आराम मिलता है. यह बायो एनर्जी का स्रोत भी है, इसका तेल सिर दर्द, खांसी में पारंपरिक रूप से काम करता है. साथ ही इसके तेल का प्रयोग आयुर्वेद में अरोमा थेरेपी में भी काम आता है. नैनीताल में सुरई के पेड़ का जंगल नयनपीक के निचले इलाकों में है.
Location :
Nainital,Uttarakhand
First Published :
February 01, 2025, 11:32 IST
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