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सनातन के प्रचार प्रसार के लिए लगे हुए हैं संन्यासी
मथुरा: भगवान की भक्ति का रस जिस पर एक बार चढ़ जाता है. वह भक्त अपनी सारी सुध बुध छोड़कर भगवान की भक्ति में लग जाता है. वह भगवान का हो जाता है. ऐसी ही एक कहानी विदेश में नौकरी करने वाले इंजीनियर की है. जिसने लाखों रुपए के महीने के पैकेज को ठुकरा कर योगीराज श्री कृष्ण की भक्ति में रम गया है. वह आज वृंदावन में रहकर राधा कृष्ण का जाप कर रहा है.
नौकरी छोड़ राधा कृष्ण की भक्ति में हुआ लीन
कहते हैं जिस पर कृपा राम की होये, उस पर कृपा करें, सब कोई. यह कहावत बहुत सटीक बैठती है, एक ऐसे संत पर, जिन्होंने सब कुछ त्याग कर सब सुख सुविधाओं को छोड़कर राधा कृष्ण की भक्ति में डूबा हुआ है. वहीं, वृंदावन में रहकर वह राधा नाम स्मरण करता रहता है. वह अपने जीवन और दिन की शुरुआत राधा नाम से करता है. जहां वृंदावन में रहकर यहां राधा कृष्ण की भक्ति में डूबे हुआ है
इसके साथ ही वह सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए लगा हुआ है. वह मथुरा ही नहीं बल्कि बाहर भी जाकर कॉलेज, इंस्टिट्यूट और यूनिवर्सिटी में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करता है. वह लोगों के साथ साथ स्कूल, कॉलेज के छात्र-छात्राओं को बताते हैं कि सनातन धर्म का कैसे पतन करने से रोका जा सकता है.
वहीं, भक्ति वेदांत दामोदर नाम के इस संत से जब लोकल 18 की टीम ने बातचीत की, तो उन्होंने अपने जीवन के उतार-चढ़ाव के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि हमारा पूर्व का नाम अमित सिंह था और अब वह भक्त वेदांत दामोदर के नाम से जाने जाते हैं. इंजीनियर बाबा ने यह भी बताया कि उनके पिता एक एनजीओ में कार्य रखने और उनकी मां एक आंगनवाड़ी में कार्यकत्री हैं. इंजीनियर बाबा ने यह भी बताया कि उनका एक छोटा भाई है उसके एक बच्चा और पत्नी भी है.
जानें प्राथमिक और उच्च शिक्षाओं के बारे में
जब लोकल 18 की टीम ने भक्ति वेदांत दामोदर से उनकी प्रारंभिक शिक्षा के बारे में सवाल किया, तो उन्होंने बताया कि उनकी प्राइमरी शिक्षा लखनऊ से हुई. हाई स्कूल उन्होंने 2004 में किया. इंटर उन्होंने 2006 में किया. इसके साथ-साथ 2006 से 2010 तक उनका इंजीनियरिंग बैच रहा.
इंजीनियर बाबा ने बताया कि 2010 से 2015 तक का उनका जो सफर है, वह नौकरी का रहा है. वह 3 साल के वीजा पर पोलैंड चले गए, लेकिन उनका 3 महीने में ही मन वहां से विचलित हो गया. वह वृंदावन सब कुछ छोड़कर चले आए. कृष्ण की भक्ति में रमें रहते हैं. यहीं कृष्ण नाम रटते रहते हैं.
उन्होंने कहा कि जो भी आनंद की प्राप्ति होती है. वह हम कृष्ण नाम से करते हैं. आनंद कृष्ण का नाम है. कृष्ण जहां व्याप्त हैं. कृष्ण जहां विराजमान है. वहीं, आनंद की प्राप्ति होती है. इंजीनियर बाबा ने यह भी बताया कि पोलैंड में वह ढाई लाख रुपए महीने कमाते थे, लेकिन कृष्ण की भक्ति का रस, कृष्ण की भक्ति का खुमार जब उन पर चढ़ गया, तो वह सब कुछ छोड़कर वृंदावन चले आए. यहां रहकर कृष्ण की भक्ति में आनंदित रहते हैं.
सनातन के प्रचार प्रसार के लिए लगे हुए हैं संन्यासी
भक्ति वेदांत दामोदर ने लोकल 18 से बातचीत के दौरान यह भी बताया कि जिस तरह से हमारे हिंदू संस्कृति. सनातन धर्म का पतन किया जा रहा है. हम उससे बेहद आहत हुए. हमें जो पढ़ाया गया, हम इस मार्ग पर चल रहे हैं. भगवान की भक्ति के साथ-साथ हम स्कूल कॉलेज और इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी के अंदर लोगों को सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने के साथ-साथ सनातन को आगे बढ़ने का प्रयास करते रहते हैं. भक्ति वेदांत दामोदर से जब यह प्रश्न की के उन्हें कभी परिवार की याद नहीं आती है, तो उन्होंने बताया कि ब्रज में रहकर परिवार की याद नहीं आती. क्योंकि यहां हम जब मधुकरी करने जाते हैं, तो ब्रज की हर गली में मां बैठी है.
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FIRST PUBLISHED :
November 21, 2024, 13:41 IST