मिठाई खिलाकर बधाई दते
समस्तीपुर : जिले के मोहनपुर प्रखंड क्षेत्र के निवासी रौशन राज ने मेहनत और संघर्ष की अनोखी मिसाल पेश की है. जब वह मात्र 5 साल के थे, तभी उनके सिर से पिता का साया उठ गया था. सड़क दुर्घटना में पिता की मौत के बाद उनका पालन-पोषण उनके दादाजी ने किया. इसके बावजूद रौशन ने कभी हार नहीं मानी और अपने जीवन में आने वाली तमाम मुश्किलों का डटकर सामना किया. गरीबी और कठिनाइयों के बावजूद रौशन ने शिक्षा के क्षेत्र में लगातार प्रयास किया.
बीपीएससी द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा के परिणाम में उन्होंने तीसरी कोशिश में सफलता प्राप्त की और वर्ग 6 से 8 तक की मेरिट लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराया. यह सफलता उनके अथक प्रयास और मजबूत इच्छाशक्ति का परिणाम है. रोशन की यह सफलता साबित करती है कि जीवन में चाहे जितनी भी कठिनाइयां हों, अगर इंसान में मेहनत और लगन हो, तो कोई भी मंजिल असंभव नहीं है. उनका संघर्ष और परिश्रम दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है, और यह संदेश देता है कि कभी भी हार नहीं माननी चाहिए. अब रोशन कुमार बीपीएससी शिक्षक बनकर अपने सपने को सच कर चुके हैं.
क्या कहते हैं रौशन राज
लोकल 18 से बातचीत करते हुए रौशन राज ने अपने संघर्ष के बारे में बताया कि जब वह 5-6 साल के थे, तब उनके पिता की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. इसके बाद उनके दादाजी ने उन्हें पालकर बड़ा किया. उनके दादाजी भी मेहनती थे, जो मजदूरी करते हुए घर का खर्च और उनके पढ़ाई के लिए पैसे इकट्ठा करते थे. रौशन ने बताया कि जब उन्हें थोड़ा समय मिला, तो उन्होंने गांव में ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया और अपनी कमाई भी शुरू की, साथ ही अपनी पढ़ाई जारी रखी. उन्होंने यह भी बताया कि बीपीएससी टीचर भर्ती परीक्षा के पहले प्रयास में वह कुछ ही अंकों से रह गए थे, तब उन्होंने प्रतिदिन 5 से 6 घंटे पढ़ाई की थी. दूसरे प्रयास में भी उनका चयन नहीं हुआ, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने कहा कि तीसरे प्रयास में उन्होंने प्रतिदिन 12 से 13 घंटे की मेहनत की और आखिरकार सफलता हासिल की.
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FIRST PUBLISHED :
November 17, 2024, 09:03 IST