सांगली: महाराष्ट्र के सांगली के आटपाडी गांव में हर साल एक खास यात्रा होती है जिसे “बकरी-भेड़ यात्रा” के नाम से जाना जाता है. ये यात्रा सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पहलू भी जुड़े हैं. महाराष्ट्र की ये यात्रा बकरी और भेड़ों के व्यापार के लिए पूरे राज्य में मशहूर है. यहां पर कर्नाटक के बेलगाम, कोल्हापुर, सतारा और सोलापुर से किसान और व्यापारी आते हैं.
पिछले सालों से कैसे बदली यात्रा?
पहले यहां मंडेशी खिलार बैल और गाय-भैंस की खरीद-बिक्री ज्यादा होती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में बकरी और भेड़ों का क्रेज बढ़ गया है. खासकर “माडग्याली भेड़” इस यात्रा की सबसे बड़ी आकर्षण बन गई है.
माडग्याली भेड़ क्यों है इतनी खास?
माडग्याली भेड़ की कीमत लाखों में होती है. 3 दिन के मेमने से लेकर बड़े राम (भेड़) तक की खरीद-बिक्री यहां होती है. इस बार यात्रा में एक माडग्याल राम भेड़ की 51 लाख रुपये की बोली लगी! भेड़ों को दुल्हन की तरह सजाकर, उनके साथ संगीत बजाते हुए लोग यहां आते हैं.
कैसे बदल रही है किसान की किस्मत?
आटपाडी जैसे सूखा प्रभावित इलाके में ये यात्रा पशुपालकों की मुख्य कमाई का जरिया है. किसान बताते हैं कि इस यात्रा के दौरान उनके जानवरों की कीमत 5 गुना तक बढ़ जाती है. मंडी समिति के उपाध्यक्ष राहुल गायकवाड़ कहते हैं, “यहां पर 3-4 लाख से लेकर 51 लाख तक के सौदे होते हैं.”
यात्रा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
आटपाडी के ग्राम देवता श्री उत्तरेश्वर की इस यात्रा में कार्तिक पूर्णिमा से हफ्ते भर तक मेला चलता है. किसानों और व्यापारियों के लिए ये मेला त्योहार की तरह होता है. जानवरों को न केवल खरीदा-बेचा जाता है, बल्कि उनकी जाति और गुणवत्ता का प्रदर्शन भी किया जाता है.
किसानों और व्यापारियों की भीड़
पूरे हफ्ते तक ये यात्रा आटपाडी कृषि मंडी परिसर में चलती है. यहां पर बकरियों और भेड़ों को पेंट कर, सजाकर लाया जाता है. ये नजारा देखने के लिए हर साल हजारों लोग आते हैं.
युवाओं के लिए संदेश
अगर आपको ग्रामीण जीवन और पशुपालन में रुचि है, तो ये यात्रा जरूर देखनी चाहिए. यह न केवल महाराष्ट्र की परंपरा को दिखाती है, बल्कि किसानों की मेहनत और रचनात्मकता का उत्सव भी है.
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FIRST PUBLISHED :
November 18, 2024, 10:16 IST