सतीटोला की सतियों की प्रतिमाएं
बालाघाट. तिरोड़ी से लगभग 5 किलोमीटर दूर सती टोला नाम का एक गांव है, जहां पर स्थापत्य कला का बेहतरीन उदाहरण मौजूद है. यहां सैंकड़ों वर्ष पुरानी 35 से ज्यादा सतियों की प्रतिमाएं हैं, जिसमें राजा, रानी, पटरानियों और बच्चों के चित्र उकेरे गए हैं. अब देखरेख के अभाव में इन मूर्तियों का क्षरण हो रहा है, ऐसे में ग्रामीण चाहते हैं कि उनका संरक्षण किया जाना चाहिए. इस गांव में एक परिवार ऐसा भी जो खुद को इन सती की प्रतिमाओं का वंशज भी मानता है.
इन सतियों के नाम पर पड़ा गांव का नाम सती टोला
बालाघाट जिले के इस गांव में सती टोला सतियों का गांव रहा है, ऐसे में इस गांव का नाम सतीटोला रखा गया है. यहां पर 35 से ज्यादा स्मारक है, जिनमें 100 से ज्यादा राजा-रानी, पटरानियों, बच्चों के चित्र उकेरे गए है. इन स्मारकों में घोड़े पर सवार सैनिक भी नजर आते हैं.
दशमेर परिवार का दावा- हम है इन सतियों के वंशज
सती टोला निवासी यादव सिंह दशमेर दावा करते हैं कि ये सतियों के स्मारक उनके पूर्वजों की है. जब हमने उनसे कहा कि आप इतने दावे के साथ कैसे कह सकते है, तो उन्होंने बताया कि हमारे दादा-परदादा इन सतियों के स्मारकों की पूजा-अर्चना करते हैं आए है. साथ ही उनके पूर्वजों की दी हुई जानकारी के आधार पर वह इस तरह का दावा करते हैं. यादव सिंह ने बताया कि ये स्मारक उनके पूर्वज सोमजी बाबा, पहाड़सिंह बाबा और गंगु मोकाजी की है.अब दशमेर परिवार चाहता है कि पुरातत्व विभाग इन स्मारकों पर ध्यान दें. साथ ही क्षरण हो रहे स्मारकों का संरक्षण के लिए कदम उठाए.
सती माता करती है मनोकामनाएं पूरी
यादव सिंह दशमेर बताते है कि हर साल सती टोला में इन स्मारकों के मेला लगता है. इस मेले को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. यहां के मेले में हजारों लोगों की भीड़ रहती है. इस दौरान पूरी हुई मनोकामना के लिए ये चढ़ावा भी चढ़ाते हैं. वहीं कई लोग यहां बकरे की बलि भी देते हैं, आज भी परंपरा कायम है.
इन स्मारकों के नीचे खजाना होने का दावा
यादव सिंह दशमेर बताते हैं कि इन सतियों के स्मारकों के नीचे खजाना है. कुछ साल पहले कुछ शरारती तत्वों ने यहां से खजाना चुराने की कोशिश की थी. लेकिन उनके साथ तत्काल ही कुछ अप्रिय घटनाएं हुई थी. इसके बाद ग्रामीणों ने इनकी शिकायत तिरोड़ी थाने में करवाई थी.
FIRST PUBLISHED :
November 23, 2024, 08:50 IST