वाराणसी : मार्गशीर्ष का महीना शुरू हो गया है. मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भैरव अष्टमी का पर्व मनाते है. काल भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप माने जाते है. इन्हें दंडाधिकारी भी कहते है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन काल भैरव की पूजा से जीवन की हर तरह की समस्याएं दूर होती है. इसके अलावा संतान की पीड़ा भी समाप्त होती है.
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि मार्गशीर्ष माह के मध्यान व्यापिनी अष्टमी को काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी. हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के अष्टमी तिथि की शुरुआत 22 नवंबर को रात 9 बजकर 20 मिनट से शुरू हो रहा है. जो 23 नवंबर को रात 10 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार मध्यान व्यापिनी अष्टमी तिथि 23 नवंबर को होगी. लिहाजा 23 नवंबर को ही भैरव अष्टमी मनाई जाएगी.
जरूर करें ये काम
इस दिन भगवान भैरव की कृपा पाने के लिए पूरे विधि विधान से उनकी पूजा अर्चना करनी चाहिए. पूजा के दौरान उन्हें नीले फूल अर्पित करना चाहिए. इसके अलावा उनकी सवारी स्वांग (कुत्ते) को मीठी पूड़ी खिलाने से भी काल भैरव प्रसन्न होते हैं और जीवन के सभी कष्ट बाधा हर लेते हैं.
संतान संबंधित बाधा होगी दूर
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस दिन यदि भैरव मंदिर में दर्शन के बाद छोटे बालक को उनके जरूरत की चीज दान करने से भी उनकी कृपा बरसती है. इसके अलावा संतान सम्बंधित कष्ट भी दूर होते हैं. इस दिन काल भैरव की पूजा के दौरान ‘ॐ काल भैरवाय नमः’ मंत्र का 108 बार जप भी जरूर करना चाहिए. इसके अलावा आप ‘ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय भयं हन’ मंत्र का जाप भी कर सकतें है.
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FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 13:59 IST