Behavior that kid larn from mother: बच्चे अपने आसपास के माहौल से कई चीजें सीखते हैं. लेकिन अगर किसी की सबसे अधिक कॉपी करते हैं तो वो है अपनी मां की. जी हां, बच्चे जन्म के साथ ही मां के साथ इमोशनली बंधे होते हैं और ज्यादातर समय वे मां के साथ ही बिताते हैं. ऐसे में मां के व्यवहार को वे काफी करीब से देखते हैं और वैसा ही बिहेव सीखते जाते हैं. ऐसे में अगर आप एक मां हैं और अपने बच्चे को एक बेहतर इंसान बनाना चाहती हैं तो अपने व्यवहार पर ध्यान दें. क्योंकि हो सकता है कि वो आपसे ही कुछ अच्छा व्यवहार सीख रहा हो और कुछ बुरा भी. आइए जानते हैं.
बच्चे अपनी मां के इन व्यवहार की करते हैं कॉपी
बोलने का तरीका: आपको बता दें कि बच्चे अपनी मां के बोलने का लहज़ा, शब्दों का चयन और आवाज़ की टोन को स्वभाविक रूप से अपनाते हैं. अगर आप लोगों के साथ प्यार भरे टोन में बात करती हैं तो आपका बच्चा भी लोगों के साथ ऐसा बोलना सीखेगा.
भावनात्मक प्रतिक्रिया: बच्चे मां की तरह ही भावनात्मक रूप से प्रतिक्रिया देते हैं, चाहे वह गुस्सा हो, खुशी हो, या दुख. इसलिए जब भी आप गुस्से में हों, ऐसा व्यवहार न करें जो आप अपने बच्चे को नहीं सिखाना चाहती हैं.
टाइम मैनेजमेंट: बच्चा अपनी मां से ही टाइम मैनेजमेंट सीखता है. किस वक्त उठना है, तैयार होना है, कौन सा काम कितनी देर में पूरा कर लेना है या रुटीन को किस तरह फॉलो करना है जिससे हर काम समय पर पूरा होता जाए. ये सारी बातें वह अपनी मां से सीखता है.
खान-पान की आदतें: मां जो खाती है या जो खाने की आदतें अपनाती है, बच्चे भी वही आदतें अपनाने लगता है. ऐसे में अगर आप जंक फूड्स पसंद करती हैं तो बच्चे भी आपकी तरह अनहेल्दी खाना पसंद करेंगे, जबकि अगर आप हेल्दी फूड हैबिट अपनाती हैं तो बच्चा भी हेल्दी खाना खाएगा.
साफ सफाई: खुद को किस तरह क्लीन रखना है, घर, सामान, कपड़े आदि को साफ रखने की आदत बच्चा अपनी मां से ही सीखता है.
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किसी के प्रति संवेदनशीलता रखना: यह पाया गया है कि अगर मां दूसरों के प्रति संवेदनशील है और उनके प्रति अच्छा भाव मन में रखती है तो बच्चा भी ऐसा ही व्यवहार अपना लेता है. मसलन, किसी के प्रति दया रखना, मदद कर देना, सहानुभूति आदि.
कामकाज का तरीका: बच्चे मां की तरह ही घर के काम जैसे खाना बनाना, सफाई करना और चीजों को व्यवस्थित करना आदि सीख लेता है. इसलिए उनकी बेहतर गाइड आप बन सकती हैं.
बातचीत की शैली: मां का दूसरों से बातचीत करने का तरीका और बाहरी लोगों के साथ व्यवहार भी बच्चे खुद-ब-खुद सीख लेते हैं.
धैर्य और सहनशीलता: मां किसी मुश्किल हालात में धैर्य और सहनशीलता के साथ समस्याओं का सामना करती है, तो बच्चे भी बुरे वक्त में मां की तरह ही प्रतिक्रिया देना सीख लेते हैं.
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बॉडी लैंग्वेज: बच्चे मां के बॉडी लैंग्वेज की भी कॉपी करने लगते हैं. मसलन, बात करते वक्त आपके हाथों को हिलाने का तरीका, बैठने का तरीका, यहां तक कि चलने का तरीका भी. इस तरह मां के साथ बिताया गया समय बच्चे की पर्सनैलिटी पर गहरा प्रभाव छोड़ता है.
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FIRST PUBLISHED :
September 29, 2024, 18:52 IST