मंगल ग्रह पर जाने की तैयारियां तो चल रही हैं, लेकिन अभी वहां तक जाने के लिए इंसान शायद तैयार नहीं है. पर वैज्ञानिक मंगल यात्रा की हर तरह की चुनौती से निपटने के उपाय तलाशने में जुटे हैं और कई के उन्होंने समधान निकाले भी हैं पर अभी बहुत सी ऐसी समस्याएं हैं जिनका हल नहीं निकला है. एलन मस्क तो वहां कॉलोनी बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं. लेकिन एक सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या मंगल पर इंसान जिंदा भी रह सकेगा? क्या मंगल ग्रह पर बनाए जाने वाले घर वहां रहने वालों को रेडिएशन से बचाने के लिए काफी रहेंगे? ऐसे सवालों का जवाब देते हुए एक जीवविज्ञानी ने बताया है कि वहां इंसान की क्या हालत हो जाएगी.
कई तरह के बदलाव दिख सकते हैं
जीवविज्ञानी डॉ स्कॉट सोलोमन का कहना है कि मंगल ग्रह पर वहां रहने वाले इंसानों में कई विकासवादी बदलाव देखने को मिलेंगे 2106 में उनकी प्रकाशित किताब “फ्यूचर ह्यूमन्स: इनसाइड द साइंस ऑफ अवर कंटीन्यूइंग इवोल्यूशन” में उन्होंने बताया कि मंगल ग्रह पर बसने वाले इंसान भविष्य में कैसे दिख सकते हैं.
क्या एलियन की तरह?
डॉ सोलोमन इस तरह के इंसानों की तस्वीर पेश करते हैं, वह संयोग से वैसी ही है जैसी की हम लंबे समय से एलियन के बारे में सोचते रहे हैं, कमजोर और हरे रंग के. पर सवाल यही है कि मंगल पर ऐसा क्या है जिससे इंसान इतना बदल सकता है. वह है तो पृथ्वी जैसा ग्रह, लेकिन वहां सबसे बड़ी समस्या यही है कि उसकी मैग्नेटिक फील्ड और ओजोन परत नहीं है. इससे सूर्य से आने वाले हर तरह के विकिरण वहां की सतह तक पहुंच पाते हैं.
एलियन के बारे में जिस तरह कल्पना पहले की जाती थी उसी तरह का हाल इंसान का हो सकता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
रेडिएशन के नतीजे
सोलोमन बताते हैं कि रेडिएशन एक बहुत ही बड़ा फैक्टर होगा क्योंकि इंसानों के इससे निपटने के लिए इसके अनुकूल ढलने के लिए मजबूर होना होगा और इससे कुछ नए स्किन पिग्मेंट बन सकते हैं. हो सकता है कि इससे हमारे लोग हरे होने लगें. म्यूटेशन की वजह से हो सकता है कि इंसान की त्वचा हरी हो सकती है , आंख कमजोर हो सकती हैं. हड्डियां नाजुक होकर भुरभरी हो सकती है और मांसपेशियों की ताकत कम हो सकती है.
और ये समस्याएं भी होंगीं
उनका मानना है कि इंसान को दूर का देखने में परेशानी होने लगी क्योंकि वे एक बहुत ही छोटे दायरे में रहने लगेंगे. मगंल का कम गुरुत्व उनकी मांसपेशियों और हड्डियों को कमजोर कर देगा. नासा पहले ही इंसान पर स्पेस के प्रभाव के बारे में जानता है और वह इस समस्या से निपटने के उपाय तलाश रहा है. फिर भी समस्या बहुत बड़ी है कि विशेषज्ञों को नहीं लगता है कि शुरुआती इंसान इतने लंबे समय तक वहां रह सकेंगे कि मंगल पर बच्चे पैदा हो सकें.
मंगल ग्रह पर कोई मैग्नेटिक फील्ड ना होने की वजह से वहां रेडिएशन एक बड़ी समस्या हो सकती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
कितने दिन में मंगल पर पहुंचेंगे
गौरतलब है कि मंगल ग्रह पर केवल पहुंचने के लिए ही कम से कम 21 महीनों 63 दिन का सफर करना होगा. यानी आने जाने में कम से कम 130 या उससे भी कहीं अधिक का समय लग सकता है. पर अभी हम देखते हैं कि स्पेस स्टेशन में ही 120 दिन रहने पर एस्ट्रोनॉट्स की सेहत पर गहरे असर देखने को मिलते हैं. ऐसे में शुरुआती समय में मंगल पर रह कर इंसान कितने दिन में वहां से वापस आ पाएगा यह भी एक मुद्दा है.
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दूसरी तरफ खुद एलन मस्क भी पहले कह चुके हैं कि “संभावना अधिक यही है कि आप मर जाएंगे.” लेकिन हाल ही में मस्क ने भी अपने मंगल पर कॉलोनी बसाने क सपने का बचाव करते हुए कहा कि वे मंगल पर इंसानों की बस्ती को एक विकल्प के तौर पर देखते हैं. वे इस दलील के जवाब में ऐसा कह रहे जिसमें कई लोगों को का मानना है कि मंगल की यात्रा पर निवेश पर रिटर्न नहीं मिल सकता है. मस्क ने कहा कि वे जानते है कि रिटर्न नहीं मिलेगा इसीलिए संसाधन जुटा रहे हैं. साफ है मंगल ग्रह पर कॉलोनी अभी दूर की कौड़ी ही दिखती है जब तक कि वैज्ञानिकों के हाथ कोई अनूठा आविष्कार हाथ नहीं लग जाता.
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FIRST PUBLISHED :
November 29, 2024, 12:19 IST