आपने सूर्य के कोरोना के बारे में जरूर सुना होगा. वैज्ञानिकों में सूर्य ग्रहण के दौरान इस कोरोना को देखने और स्टडी करने का खासा कौतूहल होता है. पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान के दौरान चंद्रमा के चारों ओर चमकदार प्रकाश का प्रभामंडल ही कोरोना के नाम से जाना जाता है. यह सूर्य का फैला हुआ बाहरी वातावरण है. यह इतना पतला है कि हम इसे पृथ्वी पर एक निर्वात मानेंगे, लेकिन इसका तापमान लाखों डिग्री होता है, यही वजह है कि यह पूर्ण ग्रहण के दौरान ही दिख पाता है. ब्लैक होल की गतिशीलता के बारे में हमारी समझ के अनुसार, ब्लैक होल में भी कोरोना होना चाहिए. असल बात ये है कि सूर्य के कोरोना की तरह, इसे देखना आमतौर पर बहुत ही मुश्किल होता है. लेकिन शोधकर्ताओं ने इस कोरोना के आकार का पता लगा ही लिया.
ब्लैक होल क पास की स्थिति
एक सक्रिय ब्लैक होल के लिए, यह आमतौर पर माना जाता है कि ब्लैक होल के चारों ओर गैस और धूल का एक डोनट के आकार का टोरस होता है, जिसमें ब्लैक होल के घूर्णन तल के साथ तालमेल बनाने वाली गर्म पदार्थ की एक एक्रीशन डिस्क होती है. ब्लैक होल के ध्रुवीय क्षेत्रों से प्रवाहित आयनित गैस के जेट लगभग प्रकाश की गति से दूर जाते हैं.
एक्रीशन डिस्क का एक खास तरह का इलाका
यह मॉडल हमारे देखे जाने वाले तमाम तरह के एक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लियस (AGN) की व्याख्या करता है, क्योंकि हमारे स्थिति के मुकाबले ब्लैक होल कैसा दिख रहा है, वह AGN का नजारा तय करता है. मॉडल के अनुसार, एक्रीशन डिस्क का सबसे भीतरी क्षेत्र वैक्यूम घनत्व के निकट एक बहुत ही गर्म इलाका होना चाहिए, जो ब्लैक होल में प्रवाहित होता है.
एक्रीशन डिस्क के अंदर का खास तरह का हिस्सा होता है ब्लैक होल का कोरोना. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
ब्लैक होल का कोरोना
यही इलाका सूर्य के समान एक कोरोना है, लेकिन लाखों डिग्री के बजाय, इसका तापमान अरबों डिग्री है. पर क्योंकि यह बहुत फैला हुआ है, इसलिए इसका प्रकाश एक्रीशन डिस्क के प्रकाश से भरा हुआ है. द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में एक अध्ययन ने ब्लैक होल के आसपास के मायावी क्षेत्र का अवलोकन किया है. इस नए अध्ययन में, टीम ने पूर्ण ग्रहण के दौरान सूर्य के कोरोना को देखने के समान एक तरकीब का इस्तेमाल किया.
सूर्य के ग्रहण की तरह ब्लैक होल का हाल
जिस दिशा से हम ब्लैक होल को देख रहे है उसकी तुलना में ब्लैक होल की स्थिति अहम है. क्योंकि कुछ ब्लैक होल के लिए गैस और धूल का टोरस एक्रीशन डिस्क के इलाके के हमारे नजारे को साफ नहीं दिखाता है. जबकि दूसरे ब्लैक होल के लिए हम डिस्क को सीधे देख सकते हैं. इसी लिए इन्हें अस्पष्ट और अस्पष्ट ब्लैक होल के रूप में जाना जाता है. अस्पष्ट ब्लैक होल ग्रहणग्रस्त सूर्य के समान होते हैं, क्योंकि एक्रीशन डिस्का की रोशनी नजारे में साफ नहीं दिख पाती है.
वैज्ञानिकों ने ब्लैक की एक्रीशन डिस्क निकलने वाली खास एक्स रे के जरिए कोरोना का पता लगाया . (तस्वीर: NASA/Caltech-IPAC/Robert Hurt)
एक्सरे किरणों से पता चल सकता है बहुत कुछ
दुर्भाग्य से, ब्लैक होल का कोरोना भी ऐसा ही है. लेकिन कोरोना इतना गर्म होता है कि यह अत्यधिक उच्च ऊर्जा वाले एक्स-रे उत्सर्जित करता है. ये एक्स-रे टोरस में सामग्री को बिखेर सकते हैं और हमारी देखने वाली रेखा में रिफ्लेक्ट हो सकते हैं.
एक दर्जन ब्लैक होल के आंकड़े
NASA के इमेजिंग एक्स-रे पोलरिमेट्री एक्सप्लोरर (IPXE) से डेटा का उपयोग करते हुए, टीम ने मिल्की वे में सिग्नस X-1 और X-3, और लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड में LMG X-1 और X-3 सहित एक दर्जन अस्पष्ट ब्लैक होल पर आंकड़े जमा किए. वे न केवल इन ब्लैक होल के कोरोना से बिखरे हुए एक्स-रे का निरीक्षण कर पाए थे, बल्कि वे उनके बीच एक पैटर्न का पता लगा सकते थे.
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आंकड़ों के आधार पर, कोरोना ब्लैक होल को सूर्य के कोरोना के समान गोले में घेरने के बजाय, एक्रीशन डिस्क के समान डिस्क में घेरता है. और उसी की तरह उसका आकार भी होता है. इस तरह के शोध से खगोलविदों को ब्लैक होल के हमारे मॉडल को बेहतर करने में मदद मिलेगी. यह हमें यह समझने में भी मदद करेगा कि ब्लैक होल पदार्थ को कैसे निगलते हैं और दूर की गैलेक्सी में हमारे देखे जाने वाले AGN को कैसे शक्ति देने का काम करते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 18, 2024, 19:53 IST