नई दिल्ली. अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) गूगल के खिलाफ चल रहे एंटीट्रस्ट मामले में अदालत से गूगल को अपना Chrome ब्राउज़र बेचने के लिए मजबूर करने का आग्रह करने की योजना बना रहा है. एंटीट्रस्ट मामले में कोर्ट ने का था कि गूगल ने अवैध रूप से सर्च मार्केट में एकाधिकार बनाए रखा है. Chrome दुनिया का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला ब्राउज़र है. गूगल अपने अन्य उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए इसका उपयोग करता है, जिससे प्रतियोगिता के विकास के रास्ते बंद हो रहे हैं.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी वकीलों का कहना है कि गूगल के सर्च एकाधिकार से प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंच रहा है. इसके अलावा, गूगल द्वारा अपने उत्पादों को प्रमोट करने के लिए Chrome का इस्तेमाल करना एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, जिससे प्रतिस्पर्धियों के लिए बाजार में प्रवेश पाने और बढ़ने के लिए अवसर कम हो रहे हैं.
वहीं, गूगल की रेगुलेटरी अफेयर्स की वाइस प्रेसीडेंट ली-ऐन मुलहॉलैंड ने ब्लूमबर्ग से कहा कि न्याय विभाग “इस मामले में कानूनी मुद्दों से कहीं आगे बढ़ते हुए एक कट्टरपंथी एजेंडा चला रहा है.” गूगल का कहना है कि यह कदम कंपनी के प्रतिस्पर्धी वातावरण को गलत तरीके से प्रभावित कर सकता है और उससे उद्योग पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.
गूगल पर लागू की जा सकती हैं ये शर्तें
अमेरिकी न्याय विभाग गूगल से कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करने की मांग कर सकता है. इनमें गूगल से Android को Search और Google Play से अलग करने की शर्त शामिल है. हालांकि गूगल को Android बेचने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा. इसके अलावा, गूगल को विज्ञापनदाताओं के साथ अधिक जानकारी साझा करनी होगी और उन्हें यह अधिकार देना होगा कि वे तय करें कि उनके विज्ञापन कहां दिखाए जाएं.
न्याय विभाग गूगल से यह भी चाहता है कि वह वेबसाइटों को अधिक विकल्प प्रदान करे ताकि वे अपनी सामग्री को गूगल के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उत्पादों द्वारा इस्तेमाल किए जाने से रोक सकें. इसके अलावा, गूगल पर उन विशेष अनुबंधों पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की जा सकती है, जो एंटीट्रस्ट मामले के केंद्र में थे और प्रतिस्पर्धियों को नुकसान पहुंचाते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 08:22 IST