रांची. झारखंड का संथाल परगना बांग्लादेशी घुसपैठ के बाद सुरेन मंडल टोला (नाकी टोला) को लेकर चर्चा में है. साहिबगंज जिला के उधवा प्रखंड का ये गांव गंगा नदी के किनारे बसा है. गंगा का दियारा क्षेत्र होने के नाते कई बार गांव खेत-बधार का ठिकाना बदल चुका है. उधवा प्रखंड का उत्तर पलाशगाछी सुरेन मंडल टोला की पहचान 25 घर वाले हिंदू परिवार के तौर पर है. करीब 400 घर वाले इस इलाके में 375 परिवार मुस्लिम समुदाय से आते हैं.
इस क्षेत्र में आपको 4 मस्जिद नमाज पढ़ने के लिए जरूर दिख जाएंगे. पर एक भी मंदिर नहीं दिखेगा. हिंदू घर की महिलाएं शिव मंदिर निर्माण की मांग वर्षों से कर रही है. नमाज के वक्त DJ का साउंड कम करने या बंद करने की बात हिन्दू परिवार के लोग दबे जुबां ही सही पर स्वीकार करते है. मंदिर का निर्माण क्यों नहीं हो पाया ? क्या मंदिर निर्माण पर कही कोई मनाही है? आखिर हिन्दू परिवार की महिलाएं घर के अंदर ही पूजा पाठ करने को क्यों मजबूर है. यह बड़ा सवाल है और इसी सवाल पर पढ़िए न्यूज 18 की ग्राउंड जीरो से यह स्पेशल रिपोर्ट.
गंगा नदी के किनारे बसा है सुरेन मंडल टोला
झारखंड में बंग्लादेशी घुसपैठ पर राजनीतिक बहस जारी है . झारखंड विधानसभा में हर एक राजनीतिक दल के मंच से इस मुद्दे को हवा देने और इसे नकारने की कोशिश दिखी. इसी बीच साहेबजंग जिला के उधवा प्रखंड का सुरेन मंडल टोला चर्चा में आ गया है. यह टोला गंगा नदी के किनारे बसा है. नवदीप चौधरी बताते हैं कि इस टोला में 25 हिन्दू परिवार के लोग करीब 50 साल से गुजर बसर कर रहे हैं. जाम नगर उधवा से आ कर बसे बिंद जाति के लोग अब तक कई बार गंगा कटाव का दंश झेल चुके है. हर बार गंगा नदी में आई बाढ़ के बाद गांव के साथ-साथ खेत खलिहान का पता ठिकाना बदल जाता है. अब तक दो बार सरकारी स्कूल भी गंगा मईया में समाहित हो चुका है .
हिन्दू परिवारों का दर्द छलका
सुरेन टोला आखिर क्यों चर्चा में है अब इसकी बात कर लेते है. मुस्लिम बहुल आबादी वाले इस क्षेत्र में मात्र 25 परिवार हिन्दू धर्म को मानने वालों की है . गांव की महिलाओं से जब न्यूज 18 की टीम ने बातचीत की शुरुआत की तो सौंधी चौधरी और सीमा चौधरी उनका दर्द उनके पूजा-पाठ और देवी देवता को लेकर छलका. हिंदू परिवार की महिलाएं गांव में मंदिर का निर्माण चाहती है. वो चाहती है कि गांव में भगवान शिव का मंदिर निर्माण हो जाता तो अच्छा होता.
50 सालों में क्यों नहीं बना एक भी मंदिर?
हैरानी के साथ-साथ मन में ये सवाल भी उठता है कि आखिर 50 साल में एक भी मंदिर का निर्माण नहीं हुआ या नहीं होने दिया गया. सुरेन टोला की महिलाएं लक्ष्मी पूजा, सरस्वती पूजा से लेकर छठ पूजा तो करती है पर उसका दायरा तय है. घर के अंदर तक ही ये पूजा पाठ सीमित है. वो कहती है सरकार मन्दिर बना दे तो अच्छा होता. उनके पास तो मुश्किल से पेट भरने तक का इंतजाम हो पाता है.
कभी हिंदू बहुल हुआ करता था इलाका
सुरेन टोला के इंदल चौधरी बताते है कि यहां के लोगों का रोजगार खेती-बाड़ी और मछली मारकर बेचना है. गांव में शादी विवाह और पर्व त्यौहार में DJ बजाने को लेकर एक-दो बार कहासुनी और विवाद हो चुका है . खासकर नमाज पढ़ते वक्त DJ बजाने पर जरूर आपत्ति है. ये बात और है कि इस बात को भी गांव के लोग सीधे तौर पर बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते है. लेकिन, कुछ बातें तो सामने आ ही जाती है. कभी ये इलाका हिंदू बहुल हुआ करता था. लेकिन गंगा नदी की त्रासदी को वो बार-बार नहीं झेल पाए, जमीन बेच कर चले गये.
हिंदू और मुस्लिम परिवार के बीच भाईचारा भी
सुरेन टोला में हिंदू और मुस्लिम परिवार के बीच भाईचारगी दिखती है. गांव के निजामुद्दीन और कुसु मंडल एक दूसरे को दोस्त बताते हैं. कुसु मंडल जमीन पर बैठक कर मछली मारने का जाल बुनने में लगे है. निजामुद्दीन इस बात को स्वीकार करते हैं कि गांव में 4 मस्जिद तो है पर मंदिर एक भी नहीं. बातचीत में दोनों इस बात को स्वीकार करते है कि नमाज के वक्त DJ बंद करने को कहा जाता है.
इलाके में कटाव का खतरा बरकरार
गंगा नदी के किनारे छठ घाट भी है. इस साल भी हिंदू परिवार की महिलाओं ने छठी मईया को अर्घ्य दिया. इसी घाट से लगा एक मस्जिद भी है. गांव के असराऊल शेख के अनुसार वो बचपन से इस मस्जिद को देख रहे है. कुछ लोग इस मस्जिद को 40 साल पुराना बता रहे है. मस्जिद का वर्तमान स्थिति यह है कि वो कभी भी गंगा कटाव का शिकार हो सकता है. ठीक उसी तरह जैसे दो सरकारी स्कूल को बाढ़ की त्रासदी ने निगल लिया था.
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FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 15:07 IST