अवध ओझा और उनके माता-पिता
गोंडा: विकासखंड वजीरगंज के छोटे से कस्बे से निकलकर अपनी मेहनत और जज्बे के बल पर आज देशभर में एक अलग पहचान बना चुके हैं अवध ओझा. उनके संघर्ष और सफलता की कहानी उनके परिवार और खासतौर पर उनकी मां, अधिवक्ता संतोष ओझा (वरिष्ठ उपाध्यक्ष, सिविल बार गोंडा), ने लोकल 18 के साथ साझा की.
अवध ओझा का बचपन शरारतों और किस्सों से भरा था. उनकी मां संतोष ओझा ने बताया कि ओझा बचपन में बेहद शरारती थे और दोस्तों के साथ घूमने-फिरने का बहुत शौक रखते थे. वह अक्सर दोस्तों के साथ घूमने का प्लान बनाते थे, लेकिन फिर खुद ही गायब हो जाते थे.
बचपन का नाम ‘सोनी’
अवध ओझा को बचपन में उनके परिवार वाले प्यार से “सोनी” कहकर बुलाते थे. यह नाम उनके पिता ने दिया था. अवध ओझा की कहानी संघर्ष, मेहनत, और आत्मविश्वास का प्रतीक है. गोंडा का यह “सोनी” अब देशभर के युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुका है.
आईएएस बनने का सपना और संघर्ष
अवध ओझा का सपना था आईएएस अफसर बनना, लेकिन इसे पूरा न कर पाने का मलाल आज भी उनकी मां को है. यूपीएससी की तैयारी के दौरान उन्हें कई असफलताएं मिलीं. उनकी मां ने उन्हें एक बार गुस्से में कह दिया था, “तुम्हारा गेम ओवर हो गया. अब तो तुम्हें मेरे सहारे ही जीना पड़ेगा.”
इस पर अवध ने जवाब दिया, “आप भगवान नहीं हैं,” और घर छोड़ दिया. कई सालों तक घर न जाने और संघर्ष के बाद, उन्होंने आखिरकार खुद को साबित किया.
22 साल का लंबा संघर्ष
अवध ओझा ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि यूपीएससी की असफलता के बाद हालात इतने खराब हो गए थे कि एक बार उन्होंने दोस्त से 100 रुपये मांगे, लेकिन उसने भी मना कर दिया. तब से उन्होंने हार न मानने की ठान ली और 22 साल की कड़ी मेहनत के बाद सफलता का मुकाम हासिल किया.
तेज दिमाग का सबूत
उनके पिता, माता प्रसाद ओझा, ने बताया कि ओझा का दिमाग बचपन से ही बहुत तेज था. कोई भी बात उन्हें एक बार बताई जाती थी, तो वह उसे तुरंत याद कर लेते थे.
FIRST PUBLISHED :
November 18, 2024, 13:17 IST