रीवा: IPL 2025 के मेगा ऑक्शन में एमपी के जिन क्रिकेटरों की बोली लगी, उनमें विंध्य के कुलदीप सेन का नाम भी शामिल है. रीवा के हरिहरपुर के रहने वाले तेज गेंदबाज कुलदीप सेन को पंजाब किंग्स ने 80 लाख में खरीदा है. उनका बेस प्राइम 75 लाख रुपये रहा. कुलदीप सेन उम्दा खिलाड़ी हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि बचपन से ही उनको काफी संघर्ष करना पड़ा. कुलदीप के पास एकेडमी की फीस भरने के भी पैसे नहीं थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.
विंध्य का नाम रोशन करने वाले तेज गेंदबाज कुलदीप सेन अभी एनसीए एकेडमी बेंगलुरु में प्रशिक्षण ले रहे हैं. यहां गांव में उनके पिता आज भी सैलून में लोगों के बाल काट रहे हैं और मां खेतों में करती है. कुलदीप के माता-पिता आज भी जमीन से जुड़े हुए हैं. बेटा भले ही स्टार हो गया, लेकिन माता-पिता वैसे के वैसे ही साधारण जीवन जी रहे हैं. कुलदीप के छोटे भाई जगदीप ने बताया, भैया अभी BCCI के एनसीए एकेडमी में हैं. इससे पहले दो साल राजस्थान रॉयल्स टीम का हिस्सा रहे हैं.
रेवांचल नाम से हैं मशहूर
रेवांचल एक्सप्रेस के नाम से मशहूर कुलदीप सेन को उनकी तेज गेंदबाजी के लिए इस नाम से जाना जाता है. कुलदीप ने वनडे के एक मैच में 2 विकेट, आईपीएल के 12 मैच में 14 विकेट, प्रथम श्रेणी के 20 मैच में 55 विकेट, लिस्ट ए के 14 मैच में 27 विकेट और टी-20 के 40 मैच में 32 विकेट लिए हैं.
8 साल की उम्र में थामा था बैट
कुलदीप के पिता रामपाल सेन रीवा के सिरमौर चौराहे पर हेयर सैलून चलाते हैं. दुकान से होने वाली आय से ही तीनों बेटों की पढ़ाई-लिखाई कराई है. शुरुआत में माली हालत कमजोर होने के कारण कुलदीप का क्रिकेट खेलना उन्हें पसंद नहीं था, लेकिन जब कुलदीप ने क्रिकेट को सपना बताया तो मान गए. दिन रात मेहनत की, लेकिन कुलदीप के क्रिकेट में कोई कमी नहीं आने दी. कुलदीप सेन ने महज 8 साल की उम्र में क्रिकेट का बैट हाथों में थाम लिया था. कुलदीप बतौर बल्लेबाज अपना करियर बनाना चाहते थे, लेकिन कोच की सलाह पर तेज गेंदबाजी शुरू की. कुलदीप ने जिस एकेडमी में क्रिकेट सीखा, उसने उनकी फीस भी माफ कर दी, ताकि वो अपना सपना पूरा कर सकें.
पिता के लिए खुलवाया नया सैलून
पिता ने बताया कि कुलदीप ने मेहनत में कोई कमी नहीं छोड़ी. उसने इस बात का कभी ख्याल नहीं रखा कि उसे भूख या प्यास लगी है. उसने शुरू से ही क्रिकेट को जुनून की तरह लिया. शुरुआत में लगता था कि वह सफल होगा या नहीं, लेकिन वक्त आते-आते उसकी सफलता ने घर में खुशियां ला दीं. उन्होंने कहा कि अब पूरा घर उसके सपनों को पूरा करे में जी-जान लगा रहा है. बता दें कि कुलदीप के पिता आज भी सैलून चलाते हैं. कुलदीप ने क्रिकेट खेल कर कमाए पैसों से पिता के लिए एक नया सैलून खुलवाया है. यहां दुकान के नाम के साथ-साथ कुलदीप का नाम भी अंकित है.
दुख था, गेंद तक खरीद के नहीं दे सकते थे
कुलदीप बचपन से ही क्रिकेट का शौकीन था. घर में गरीबी थी, इस कारण वह कपड़े की गेंद बनाकर घर के पास खेला करता था. बहुत दुख होता था कि उसे गेंद तक खरीद कर नहीं दे सकते थे, पर उसने आज तक कभी शिकायत नहीं की. उसने हर परिस्थिति का सामना किया और आगे निकलता गया. अपने नाम के मतलब की तरह ही सब का नाम रोशन कर दिया.
ऐसे हुई शुरुआत
2018 में कुलदीप सेन ने पहला प्रथम श्रेणी मैच खेला. वह मध्य प्रदेश की रणजी टीम का हिस्सा बने. बाद में उन्होंने इसी टीम के लिए टी-20 मैच भी खेला. अपने पहले रणजी सीजन में उन्होंने 25 विकेट लिए, जिसमें पंजाब के खिलाफ एक पारी में लिए गए पांच विकेट भी शामिल थे. इसके बाद वे भारतीय टीम का हिस्सा भी बने.
FIRST PUBLISHED :
November 30, 2024, 16:05 IST