Maharashtra Jharkhand Election Result: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों ने भारत में राजनीति की नई बिसात बिछा दी है. हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने जो खिड़की थोड़ी सी खोली थी, अब महाराष्ट्र चुनाव नतीजों ने उसे पूरी तरह से खोल दिया है. हालांकि झारखंड विधानसभा के नतीजे एनडीए के माफिक आते नहीं दिख रहे हैं, लेकिन वहां के राजनैतिक हालात इस बार स्पष्ट तौर पर मुख्यधारा की राजनीति से अलग हैं. वहां हेमंत सोरेन को जेल भेजा जाना जनजातीय वोटरों को रास नहीं आया और घुसपैठियों के विरोध का मुद्दा वहां चल नहीं पाया. महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों को देखें, तो बंटेंगे, तो कटेंगे, एक रहेंगे, तो नेक रहेंगे, सेफ रहेंगे का नारा महायुति के लिए वहां पूरी तरह काम कर गया है. गत 17 नवंबर को ही मैंने टिप्पणी की थी कि महाराष्ट्र में मुस्लिम वोटरों के ध्रुवीकरण की कोशिश की प्रतिक्रिया हुई, तो महायुति को बंपर जीत मिलेगी और ऐसा हो भी गया है. जिस तरह वहां करीब 400 एनजीओ ने मुस्लिम वोटरों को महाविकास अघाड़ी को वोट देने के लिए एकजुट करने की कोशिश की, उसकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया होनी लाजिमी थी.
इस चुनाव ने यह भी साबित कर दिया है कि असली शिवसेना एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी ही है. गौर से देखें, तो महायुति के लिए 2024 की जीत 2019 जैसी ही है. तब शिवसेना बंटी नहीं थी. उस वक्त उद्धव ठाकरे ही शिवसेना के इकलौते नेता थे और बीजेपी के साथ मिल कर चुनाव लड़ा था. जनमत महायुति को ही मिला था, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर ठाकरे के अड़ जाने के बाद बात बिगड़ गई. उद्घव ठाकरे के अपने पिता बाला साहेब ठाकरे की विचारधारा से अलग हटते हुए कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी की मदद से सरकार बना ली.
असली शिवसेना और NCP भी हो गया फैसला
इस चुनाव में एक बात और साफ हो गई है कि अजित पवार के नेतृत्व वाली नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी ही असली है. महाराष्ट्र की राजनीति में दो दिग्गज परिवारों के मुखियाओं का दबदबा नकार दिया है. महाराष्ट्र के वोटरों ने यह साबित कर दिया है कि शिवसेना और एनसीपी के मामले में चुनाव आयोग ने जो फैसला किया था, वह पूरी तरह सही था. हालांकि उद्धव ठाकरे और शरद पवार इन चुनाव नतीजों के बाद भी खुद के असली पार्टी होने का दावा करते रहेंगे, लेकिन जनता ने तो अपनी-अपनी पार्टियां चुन ली हैं.
यूपी में भी बही राजनीति की नई धारा
उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा के लिए हुए उप-चुनावों की बात करें, तो वहां के नतीजों को भी राजनीति की नई धारा से ही जोड़ कर देखा जा सकता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मेहनत यूपी में रंग लाई है. लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने वाली समाजवादी पार्टी के सपने वहां पूरे होते नहीं दिखे. चुनाव प्रचार के दौरान दोनों तरफ से कहा जा रहा था कि ये उप-चुनाव अगले विधानसभा चुनाव की झलक पेश करेंगे. समाजवादी पार्टी सभी नौ सीटें जीतने का दावा कर रही थी. इस लिहाज से क्या समाजवादी पार्टी क्या अगला विधानसभा चुनाव अभी से हारा हुआ मान लेगी?
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FIRST PUBLISHED :
November 23, 2024, 13:26 IST