नर्मदा नदी.
दीपक पांडेय/खरगोन: गंगा को देश की सबसे पवित्र नदी माना जाता है. कहते है कि गंगा में स्नान करने से जो पुण्य मिलता है. उससे कहीं ज्यादा पुण्य मां नर्मदा के दर्शन मात्र से मिल जाता है. यह बात ना सिर्फ आम बोलचाल में शामिल है. बल्कि शास्त्रों में भी वर्णित है. नर्मदा को गंगा की तरह पवित्र नदी का दर्जा कैसे मिला और किसने दिया?. पुराणों में वर्णित उस रोचक कहानी के बारे में जानते है.
मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी मां नर्मदा जिसके कण कण में शंकर बसते है. खरगोन का बकावा गांव इस बात का सबूत है. यहां नर्मदा नदी के जल से निकला हुआ हर पत्थर शिवलिंग की आकृति में होता है. नर्मदा स्वयं पत्थरों को तराशकर शिवलिंग का रूप देती है. नर्मदा से निकले शिवलिंग को प्राण-प्रतिष्ठा की भी जरूरत नहीं है.
इसलिए धरती पर प्रकट हुई गंगा
मथुरा के संत ओर परिक्रमावासी जयरामदास महाराज बताते है कि नर्मदा पुराण के अनुसार हर नदी का एक आराध्य देव है. राजा भागीरथी की तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा धरती पर प्रकट हुई. राजा सगर के 60,000 पुत्रों का तारने के लिए गंगा को पाप क्षीण करने और फलदायी नदी का वरदान मिला, तो नर्मदा ने भी अपने आराध्य देव भगवान शिव की आराधन कर गंगा की तरह पवित्र, फलदायी और पाप क्षीण करने वाली नदी का वरदान मांगा.
भगवान शिव से मिला वरदान
कहां की जिस तरह गंगा में स्नान करने से किसी भी जीव के सभी पापा नष्ट हो जाते है, मुझे भी पाप क्षीण करने वाली नदी बनाए. तब भगवान ने कहां की गंगा दूसरी नहीं हो सकती. लेकिन, नर्मदा नहीं मानी, तब भगवान ने नर्मदा को वरदान दिया कि गंगा में तो स्नान करने से पाप दूर होते है परंतु तुम्हारे दर्शन करने से ही व्यक्ति के सभी पाप दूर हो जाएंगे और गंगा के समान पुण्य प्राप्त होंगे. और तभी से नर्मदा भी गंगा की तरह पवित्र और फलदायी नदी कहलाई.
भगवान शिव से मिला वरदान
कहां कि जिस तरह गंगा में स्नान करने से किसी भी जीव के सभी पापा नष्ट हो जाते है. मुझे भी पाप क्षीण करने वाली नदी बनाए. भगवान ने कहां की गंगा दूसरी नहीं हो सकती. लेकिन, नर्मदा नहीं मानी, तब भगवान ने नर्मदा को वरदान दिया. गंगा में तो स्नान करने से पाप दूर होते है परंतु तुम्हारे दर्शन करने से ही व्यक्ति के सभी पाप दूर हो जाएंगे. गंगा के समान पुण्य प्राप्त होंगे. नर्मदा भी गंगा की तरह पवित्र और फलदायी नदी कहलाई.
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FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 15:53 IST