नसीम सोलंकी
कानपुर: सीसामऊ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) ने लगातार अपनी जीत की परंपरा को कायम रखा. सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी ने भाजपा को कड़ी शिकस्त देते हुए 28 साल की पार्टी विरासत को बरकरार रखा. इस चुनाव में भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी थी, यहां तक कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद तीन बार यहां प्रचार किया. इसके बावजूद भाजपा को हार का सामना करना पड़ा.
सपा विधायक अमिताभ बाजपेई ने नसीम सोलंकी की जीत पर कहा, ‘यह कानपुर है, रामपुर नहीं. यहां की जनता किसी के बहकावे में नहीं आती’. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि योगी आदित्यनाथ का प्रचार भी भाजपा को जीत दिलाने में नाकाम रहा और भाजपा की फुटबॉल यहां पंचर हो गई.’
हिंदू वोटों के बंटवारे से भाजपा को नुकसान
चुनाव में हार के बाद भाजपा प्रत्याशी सुरेश अवस्थी ने स्वीकार किया कि हिंदू वोटों के बंटवारे के कारण पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा कि अगर हिंदू वोट एकजुट रहते, तो भाजपा यह सीट आसानी से जीत सकती थी.
सपा ने शुरुआत से बनाई बढ़त
मतगणना में सपा ने शुरुआत से ही बढ़त बना ली थी. मुस्लिम बहुल इलाकों में सपा को भारी समर्थन मिला, जबकि हिंदू बहुल इलाकों में भी सपा को पर्याप्त वोट मिले. इस चुनाव में कुल 1,32,973 वोट पड़े, जिनमें से नसीम सोलंकी को 69,666 और भाजपा के सुरेश अवस्थी को 61,037 वोट मिले.
28 साल से सोलंकी परिवार का दबदबा
सीसामऊ सीट पर 28 साल से सोलंकी परिवार का कब्जा बरकरार है. सबसे पहले इस सीट पर हाजी मुस्ताक सोलंकी विधायक बने थे, उनके बाद उनके बेटे इरफान सोलंकी ने इस विरासत को संभाला. इरफान सोलंकी के जेल जाने और आपराधिक मामले में सजा के बाद यह सीट खाली हुई थी. सपा ने उनकी पत्नी नसीम सोलंकी को उम्मीदवार बनाया और जनता ने एक बार फिर सोलंकी परिवार पर भरोसा जताते हुए उन्हें जीत दिलाई.
बडी़ जीत का संदेश
सीसामऊ उपचुनाव की यह जीत न केवल सपा की ताकत को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि जाति और धर्म के समीकरणों से परे जाकर जनता ने सोलंकी परिवार को अपना समर्थन दिया. यह जीत सपा की मजबूत पकड़ और भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में देखी जा रही है.
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FIRST PUBLISHED :
November 23, 2024, 14:04 IST