जिले में करीब 2650 किसान आवेदन कर चुके हैं
बाराबंकी: इस जिले को दशकों से अफीम की खेती के गढ़ के रूप में जाना जाता है. एक बार फिर इस परंपरा को मजबूत करने की तैयारी कर रहा है. जिला अफीम कार्यालय से उत्तर प्रदेश के छह जिलों—बाराबंकी, लखनऊ, अयोध्या, गाजीपुर, महाराजगंज और मऊ के किसानों को लाइसेंस दिए जा रहे हैं.
पिछले वर्ष करीब 3700 किसानों को अफीम की खेती के लिए लाइसेंस जारी किए गए थे. हालांकि, उत्पादन का लक्ष्य पूरा न कर पाने के कारण 1500 किसानों के लाइसेंस इस बार रद्द कर दिए गए हैं. इसके चलते इस साल लाइसेंसधारी किसानों की संख्या घटकर 2700 तक सीमित रहने की उम्मीद है.
ऑनलाइन लाइसेंस प्रक्रिया और समयसीमा
राजकमल रोड स्थित जिला अफीम कार्यालय पर लाइसेंस देने की प्रक्रिया जारी है. इस बार लाइसेंस ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत जारी किए जा रहे हैं. अफीम की खेती परंपरागत किसानों द्वारा की जाती है, जिनके पुराने लाइसेंस का नवीनीकरण किया जा रहा है. जो किसान पहले खेती नहीं कर सके, उन्हें इसका कारण स्पष्ट करना होता है.
खेती के लिए नई पद्धतियां
जिला अफीम अधिकारी करुण बिलग्रामी ने बताया कि सीपीएस (कंसेंट्रेटेड पॉपी स्ट्रॉ) पद्धति से किसानों को नुकसान का खतरा कम रहता है. यह पद्धति किसानों को अफीम की औसत निकालने की झंझट से मुक्त करती है. हालांकि, इसे अभी अनिवार्य नहीं किया गया है, और किसान परंपरागत विधियों से भी अफीम का उत्पादन कर सकते हैं.
अफीम की खेती का समय और क्षेत्रफल
बाराबंकी समेत छह जिलों में अफीम की खेती नवंबर के अंत और दिसंबर के पहले सप्ताह से शुरू होती है. पिछले साल 370 हेक्टेयर में अफीम की खेती की गई थी. इस बार करीब 2650 किसानों ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया है, और लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया तेज गति से चल रही है.
बाराबंकी और इसके आसपास के जिलों में अफीम की खेती का यह सिलसिला कृषि परंपरा और आर्थिक महत्व दोनों को दर्शाता है. इस बार विभाग ने 2700 किसानों को लाइसेंस देने का लक्ष्य तय किया है, जिससे इस ऐतिहासिक खेती को और विस्तार मिलेगा.
Tags: Agriculture, Local18, Opium smuggling
FIRST PUBLISHED :
November 18, 2024, 16:31 IST