Azam Khan and Chandrashekhar Azad Meeting: उत्तर प्रदेश की सियासत में यूपी उपचुनाव परिणाम एक बाद नई सियासी इबारत लिखी ज ...अधिक पढ़ें
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- Last Updated : November 21, 2024, 15:20 IST
हाइलाइट्स
2027 के चुनाव से पहले यूपी में नया सियासी समीकरण देखनेको मिल सकता है चंद्रशेखर आजाद की आजम खान से सीतापुर जेल में मुलाकात से चढ़ा सियासी पारा अगर दोनों नेता साथ आते हैं तो अखिलेश और मायावती की मुश्किलें बढ़ना तय है
लखनऊ. उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान बुधवार को संपन्न हो गया. अब सभी को नतीजों का इन्तजार है. लेकिन इस बीच यूपी की सियासत में नया समीकरण बनता दिख रहा है. माना जा रहा है कि पश्चिम यूपी में इस नए सियासी समीकरण की वजह से पूरे प्रदेश की राजनीति 360 डिग्री घूम सकती है. यह स्थिति समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती के लिए टेंशन पैदा करने वाली है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद की. जेल में बंद आजम खान से चंद्रशेखर आजाद की नजदीकियों से यूपी का सियासी पारा चढ़ा हुआ है.
दरअसल, गुरुवार को आजाद समाज पार्टी के मुखिया सीतापुर जेल में बंद आजम खान से मिलने पहुंचे. उन्होंने करीब एक घंटे आजम खान से जेल में मुलाक़ात की. इससे पहले उपचुनाव के दौरान चंद्रशेखर आजाद ने हरदोई जेल में बंद आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम से मुलाक़ात की थी. उस वक्त कहा गया था कि पश्चिम यूपी की तीन सीटों कुंदरकी, मीरापुर और खैर सीट के लिए चंद्रशेखर आजाद समर्थन मांगने पहुंचे थे. हालांकि, अखिलेश यादव ने भी रामपुर में आजम खान की पत्नी तंजीन फात्मा से मुलाकात की थी. अब उपचुनाव में मतदान के बाद चंद्रशेखर और आजम की मुलाक़ात प्रदेश की सियासत में नयी इबारत लिखने की ओर संकेत दे रही है.
2027 विधानसभा चुनाव में बदल सकता है समीकरण
खासकर 2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए चंद्रशेखर आजाद और आजम खान की मुलाक़ात के कई मायने निकाले जा रहे हैं. यह स्थिति समाजवादी पार्टी के साथ ही बसपा को भी असहज करने वाली है. इसकी वजह यह भी है कि समाजवादी पार्टी पर आरोप लगता रहा है कि मुश्किल की घड़ी में अखिलेश यादव आजम खान के साथ खड़े नहीं दिखे. इसका इशारा खुद आजम खान और उनके समर्थक भी कर चुके हैं. ऐसे में अगर आजम खान और चंद्रशेखर एक साथ आते हैं तो दलित और मुस्लिम का नया समीकरण, यानी डीएम (दलित-मुस्लिम) फैक्टर पश्चिम यूपी की कई सीटों पर मारक साबित हो सकता है. यह स्थित सपा के लिए अनुकूल नहीं होगी, क्योंकि अभी तक मुस्लिम यादव यानी MY फैक्टर पर ही सपा की सियासत चलती रही है और आजम खान उसके किरदार रहे हैं.
मैं तो आजम भाई की वजह से अखिलेश से मिला
उपचुनाव के दौरान ही चनद्रशेखर आजद ने एक बयान देकर अखिलेश यादव को संदेश दे दिया था कि वह सिर्फ सीट जीतने की राजनीति नहीं कर रहे, बल्कि दलित राजनीती का सबसे बड़ा चेहरा बनने आये हैं. उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था कि वे आजम भाई के कहने पर ही अखिलेश यादव से मिले थे, वरना तो वे मिलने भी नहीं जाते. पिछले रविवार को आजम खान के परिवार से मुलाक़ात के बाद चनद्रशेखर आजाद ने कहा कि अखिलेश यादव इसलिए परिवार से मिलने आए क्योंकि मैं अब्दुल्ला आजम से जेल में मिला. इतना ही नहीं उन्हने मुएलायम सिंह के लिए पद्मा अवार्ड लेने से पहले आजम खान के खिलाफ दर्ज मुकदमों की लड़ाई लड़नी चाहिए थी.
डेडली हो सकती है आजम-चंद्रशेखर की जोड़ी?
जानकारों का कहना है कि अगर चंद्रशेखर आजाद और आजम एक साथ आते हैं तो पश्चिम यूपी की कई सेटों पर सियासी समीकरण बदल सकता है. खासकर वहां, जहां दलित और मुस्लिम वोटर निर्णायक है. यह स्थिति अखिलेश यादव और मायावती दोनों के लिए ही घातक होगी. कहा यह भी जा रहा है कि चंद्रशेखर लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन में तवज्जो न मिलने से बजी काफी नाराज हैं. इसलिए उन्होंने उपचुनाव में करहल सीट पर भी प्रत्याशी खड़े किये हैं. अब 23 नवंबर को जब उपचुनाव के परिणाम आएंगे उसके बाद यूपी की सियासत में नया बदलाव देखने को मिल सकता है.
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FIRST PUBLISHED :
November 21, 2024, 15:20 IST