World Toilet Day: सबसे पहले कहां बना था टॉयलेट?

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सुबह उठते ही सबसे पहले टॉयलेट की याद आती है. ट्रैवलिंग में टॉयलेट कैसा होगा, यह ख्याल सताता है, मार्केट में यह ना मिले तो अजीब-सी बेचैनी होने लगती है. टॉयलेट साफ ना हो तो उसे इस्तेमाल करने का मन भी नहीं करता. टॉयलेट एक ऐसी जगह है जहां बॉडी वेस्ट तो निकाला ही है, लेकिन कुछ मिनट सुकून से बैठने को भी मिलते हैं.  19 नवंबर को World Toilet Day मनाया जाता है. टॉयलेट यानी शौचालय की जरूरत इंसान को बहुत पहले ही महसूस होने लगी थी.

करीब 4 हजार साल पहले बने शौचालय
भारत एक ऐसा देश है जहां आज भी कई जगह शौचालय नहीं है और अगर हैं तो उन पर ताला लटका रहता है. लेकिन इसकी जरूरत लोगों को लगभग 4 हजार साल पहले ही महसूस होने लगी थी. सिंधु घाटी की सभ्यता में इसके सबसे पहले अवशेष मिले. उस दौर में शौचालयों के साथ ही नाली भी बनी होती थी. इस जमाने में सीवर सिस्टम भी खोज लिया गया था. मेसोपोटामिया और प्राचीन मिस्र में भी इनटर्नल पिट टॉयलेट मिले हैं. 

यूरोप में लोग सड़कों पर फेंकते थे मल!
यूरोप में 11वीं शताब्दी से पहले तक शौचालयों की व्यवस्था नहीं हुई थी. ऐसे में लोग सड़कों पर ही मल फेंक देते थे और खुले में शौच करते थे. इससे वहां की सड़कों पर हमेशा बदबू फैली रहती थी. लेकिन विक्टोरिया युग में वहां लकड़ी के चैंबर पॉट का कॉन्सेप्ट शुरू हुआ. यह पोटेबल पॉट था जिसे बेडरूम में रखा जाता था. इसका इस्तेमाल करने के बाद मल को साफ किया जाता था. फ्लश टॉयलेट का डिजाइन 1596 में बना लेकिन स्कॉटिश मैकेनिक एलेक्जेंडर क्यूमिंग का 1775 में बनाया गया फ्लश डिजाइन आज तक इस्तेमाल होता है.   

दुनिया में सबसे महंगा टॉयलेट स्पेस स्टेशन पर बना. इसे 19 मिलियन डॉलर में तैयार किया गया (Image-Canva)

कई तरह के टॉयलेट
भारत में इंडियन और वेस्टर्न स्टाइल के ही टॉयलेट दिखते हैं लेकिन दुनिया में अजीबोगरीब तरीके के टॉयलेट मौजूद हैं. भारत में जिन्हें इंडियन टॉयलेट कहते हैं दरअसल उन्हें स्क्वैट टॉयलेट कहा जाता है. इन्हें उकड़ू बैठकर इस्तेमाल किया जाता है. कुछ जगह पिट टॉयलेट होते हैं. यानी गड्ढा बनाकर टॉयलेट डिजाइन किया जाता है. ऐसे टॉयलेट ज्यादातर दूरदराज के इलाकों में होते हैं, पब्लिक टॉयलेट ओपन एयर टॉयलेट होते हैं. अमेरिका में पोरसेलिन टॉयलेट यूज होते हैं. इनकी शेप सेब या बेसबॉल जैसी होती है. बहुत से यूरोपियन देशों में बिडेट्स का इस्तेमाल होता है. इन टॉयलेट में कमोड के साथ ही वॉशबेसिन जैसे आकार का बेसिन होता है. कमोड इस्तेमाल करने बाद इस बेसिन पर बैठकर जेट इस्तेमाल होता है. कई बार लोग इस तरह के टॉयलेट को देकर कंफ्यूज हो जाते हैं लेकिन कई होटल्स में यही व्यवस्था है.  

इंडियन टॉयलेट या वेस्टर्न टॉयलेट सही?
आयुर्वेदाचार्य डॉ. एस कटियार कहते हैं कि वेस्टर्न टॉयलेट से बेहतर इंडियन टॉयलेट होते हैं. इंडियन टॉयलेट में उकड़ू बैठा जाता है जिससे पेट पर प्रेशर बनता है. इससे पेट अच्छी तरह से साफ हो जाती है. जबकि वेस्टर्न टॉयलेट पर कुर्सी की तरह बैठा जाता है. इससे कुछ मल में बचा रहता है जो लंबे समय तक रखे तो कब्ज में बदल जाता है. लेकिन जो लोग बुजुर्ग हैं, प्रेग्नेंट महिलाएं हैं या जिन्हें घुटनों की दिक्कत है और नीचे बैठा नहीं जाता है तो वह वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल कर सकते हैं.    

यहां फ्लश करने से होता है ध्वनि प्रदूषण
हर बार टॉयलेट इस्तेमाल करने के बाद फ्लश करना जरूरी होता है लेकिन स्विट्जरलैंड में फ्लश करना कानूनी अपराध है. दरअसल यह एक शांत देश है और ध्वनि प्रदूषण को लेकर सख्त कानून हैं. यहां कानून है कि रात 10 से सुबह 6 बजे तक कोई फ्लश इस्तेमाल नहीं कर सकता. इससे रात को दूसरे लोगों की नींद खराब हो सकती है. 

दुनिया में कई रेस्टोरेंट्स टॉयलेट की थीम पर डिजाइन किए गए हैं (Image-Canva)

महिलाएं टॉयलेट का ज्यादा इस्तेमाल करती हैं
एक स्टडी के अनुसार महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा समय टॉयलेट में बिताती हैं. एशियन डेवलपमेंट पर छपी रिसर्च के अनुसार पुरुष यूरिन करने में 60 सेकंड और महिलाएं 90 सेकंड लगाती हैं. हर रोज बॉडी में 2 लीटर यूरिन बनता है. जब महिलाओं को पीरियड्स होते हैं तो वह बार-बार वॉशरूम का इस्तेमाल करती हैं. वहीं, नोबर एंड कलीग्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत में गंदे टॉयलेट के इस्तेमाल से हर 2 महिलाओं में से 1 को जिंदगी में कभी ना कभी यूरिन इंफेक्शन यानी यूटीआई झेलना पड़ता है. 

टॉयलेट इस्तेमाल करने का सही तरीका
जिस तरह टेबल मैनर्स होते हैं, उसी तरह टॉयलेट इस्तेमाल करने का भी एक तरीका होता है. टॉयलेट इस्तेमाल करने से पहले बंद करना चाहिए और सबसे पहले फ्लश करें. इसके बाद इसे यूज करें. इस दौरान यूरिन को बाहर ना गिरने दें. इस्तेमाल करने के बाद फ्लश जरूर करें. अगर यूरिन टॉयलेट सीट पर गिरा हो तो उसे टॉयलेट पेपर से साफ करें. फर्श भी साफ रखें. अक्सर लड़कियां सैनिटरी पैड कमोट में डालकर फ्लश कर देती हैं. यह गलत है. टॉयलेट पेपर भी फ्लश नहीं करना चाहिए. उसे कूड़ेदान में डालें. टॉयलेट इस्तेमाल करने के दौरान फोन से दूरी बनाकर रखें.  

Tags: China, Favourite restaurant, Female Health, Health, International Space Station, Joint pain, World Toilet Day

FIRST PUBLISHED :

November 19, 2024, 16:30 IST

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