नई दिल्ली: हिजबुल्लाह के खिलाफ इजरायल ने जंग छेड़ दी है. शुक्रवार को हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की मौत के बाद इजरायल ने हिजबुल्लाह पर हमले और तेज कर दिए हैं. इस बीच नसरल्लाह की मौत की आग ठंडी भी नहीं हुई कि इजरायल से टक्कर लेने के लिए हिजबुल्लाह ने अपना नया नेता चुन लिया है. हिजबुल्लाह ने अपने नए नेता के नाम का ऐलान कर दिया है. हसन नसरुल्लाह के मारे जाने के बाद अब हाशिम सफीद्दीन को हिज्बुल्लाह की कमान सौंपी गई है. लेकिन कहानी ना तो यहां से शुरू होती है और ना ही खत्म होती. हालांकि हिजबुल्लाह की कहानी बेरूत के ईद-गिर्द जरूर घूमती है.
यह कहानी हसन नसरल्लाह के पिछले चीफ की कहानी है. जिसे अपाचे हेलकॉप्टर से बेरूत की सड़क पर सटीक निशाने के साथ इजरायल ने हमेशा के लिए खामोश कर दिया था. इस घटना ने भी पूरी दुनिया को सख्ते में डाल दिया था, ठीक हसन नसरल्लाह की मौत की तरह. 16 फरवरी 1992 को, इजरायली अपाचे हेलीकॉप्टरों ने दक्षिणी लेबनान में अल-मुसावी के 3 वाहन के काफिले पर मिसाइलें दागीं, जिसमें अल-मुसावी, उसकी पत्नी, उसके पांच वर्षीय बेटे और चार अन्य मारे गए.
इजरायल के अटैक का क्या था मकसद?
इजरायल ने कहा इस हमले के बाद कहा था कि कि हमले की योजना 1986 में लापता इज़रायली सैनिकों के अपहरण और हत्या और 1988 में अमेरिकी मरीन और संयुक्त राष्ट्र शांति सेना अधिकारी विलियम आर. हिगिंस के अपहरण के प्रतिशोध में हत्या के प्रयास के रूप में बनाई गई थी. बाद में डाइटर बेडनार्ज़ और रोनेन बर्गमैन ने खुलासा किया कि इज़राइल की मूल योजना केवल अल मुसावी का अपहरण करके इज़राइली कैदियों की रिहाई सुनिश्चित करने की थी.
कौन था अल मुसावी?
अब्बास अल-मुसावी लेबनान के शिया धर्मगुरु और हिजबुल्लाह का सह-संस्थापक था. साल 1991 से 1992 में इजरायल द्वारा उसकी हत्या होने तक वह इसका महासचिव रहा. अल-मुसावी का जन्म 1952 के आसपास लेबनान के बेका घाटी के अल-नबी शायथ गांव में एक शिया परिवार में हुआ था. उसने इराक के नजफ़ में एक धार्मिक स्कूल में धर्मशास्त्र का अध्ययन करने में आठ साल बिताए, जहां वह ईरानी धार्मिक नेता रूहोल्लाह खुमैनी के विचारों से बहुत प्रभावित हुआ. अल-मुसावी नजफ़ के हौज़ा में मुहम्मद बाकिर अल-सदर का छात्र था, जो एक प्रभावशाली शिया धर्मगुरु, दार्शनिक, राजनीतिक नेता और इराक की दावा पार्टी के संस्थापक था.
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FIRST PUBLISHED :
September 29, 2024, 15:00 IST