मां के साथ सात माह की देवश्री.
देहरादून. नन्ही देवश्री अब सुन और बोल पाएंगी. यह वाक्य सिर्फ एक खुशी नहीं बल्कि 7 माह की बच्ची और उसके परिवार के लिए एक नई उम्मीद है. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की रहनी वाली यह बच्ची जन्मजात बहरेपन (डैफम्यूटिज्म) की समस्या से जूझ रही थी. जब यह बात उसके माता-पिता को पता चली, तो उन्होंने श्री महंत इंद्रेश अस्पताल की डॉक्टर तृप्ति मंमगाई से संपर्क साधा, जिसके बाद डॉक्टर की सलाह पर वे कॉक्लियर इम्प्लांट के लिए राजी हुए. गौरतलब है कि यह पहला मौका है, जब राज्य में इतनी छोटी उम्र के बच्ची का कॉक्लियर इम्प्लांट किया गया है.
बेहद जटिल ऑपरेशन के बाद देवश्री अब आवाजों को सुन पा रही है. माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं है. 7 माह की देवश्री के माता-पिता ने लोकल 18 से बातचीत के दौरान कहा कि उन्हें जब बेटी की बीमारी के बारे में पता चला, तो उनका दिल टूट गया. वे इसको लेकर बेहद चिंता में थे कि आखिर ये बिना सुने कैसे जीवन व्यतीत करेगी. लेकिन जब हम डॉ तृप्ति मंमगाई के संपर्क में आए, तो फिर से उम्मीद जगने लगी. उन्होंने कहा कि वह डॉक्टर और उनकी टीम का तहे दिल से धन्यवाद करते हैं क्योंकि उन्होंने मेरी बच्ची को नया जीवन दिया है.
‘हम इस चुनौतीपूर्ण सर्जरी में सफल रहे’
यह पहला मौका है, जब राज्य में इतनी छोटी उम्र के बच्ची का कॉक्लियर इम्प्लांट किया गया है. इस पर अस्पताल की ईएनटी विभाग की अध्यक्ष डॉ तृप्ति मंमगाई ने लोकल 18 से कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि यह सर्जरी हमारे लिए भी एक चुनौती थी. उसका सबसे बड़ा कारण बच्ची की उम्र, जो मात्र 7 माह की थी. हालांकि हम अपनी इस सर्जरी में सफल रहे. अब देवश्री शब्दों को सुन सकेगी. गौरतलब है कि अस्पताल में अब तक 121 रोगियों का मुफ्त कॉक्लियर इम्प्लांट किया जा चुका है. अस्पताल में एडीआईपी योजना के तहत 5 साल तक के बच्चों को मुफ्त सर्जरी की सुविधा दी जाती है.
क्या है कॉक्लियर इम्प्लांट?
कॉक्लियर इम्प्लांट एक उन्नत चिकित्सा तकनीक है, जो सुनने की गंभीर समस्या (सेंसोरी न्यूरल हियरिंग लॉस) वाले लोगों के लिए वरदान साबित होती है. यह एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जिसे सर्जरी के माध्यम से कान के भीतर प्रत्यारोपित किया जाता है. यह उन लोगों के लिए उपयोगी है, जिन्हें सुनने की मशीन (हेयरिंग एड) से भी कोई फायदा नहीं होता. कॉक्लियर इम्प्लांट एक बेहतर विकल्प है. हालांकि, निजी इलाज में इसका खर्च 7 से 7.5 लाख रुपये तक आता है.
सात माह की देवश्री की सर्जरी यह साबित करती है कि माता-पिता की जागरूकता और सही इलाज से जीवन को नई दिशा दी जा सकती है. यह केवल एक सर्जरी नहीं बल्कि एक परिवार के लिए उम्मीद की कहानी है.
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FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 13:55 IST