कैनबरा: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन को अमेरिका निर्मित लंबी दूरी की मिसाइलों के उपयोग को हरी झंडी दी है। इसके बाद यूक्रेन ने रूस पर मिसाइलें दागी हैं। माना जा रहा है कि यूक्रेन ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि इससे उसे रूसी क्षेत्र को वापस लेने की कोशिश कर रहे रूस के बलों को पीछे हटाने में मदद मिल सकती है। व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप के कामकाज संभालने से पहले यूक्रेन यहां मजबूत भी नजर आ सकता है। हालांकि, रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग आने वाले समय में क्या रुख लेगी इसे लेकर कुछ भी कहना मुश्किल है।
रूस में अंदर तक हमला कर सकता है यूक्रेन
जो बाइडेन प्रशासन ने यूक्रेन को जिन मिसाइलों के उपयोग की अनुमति दी है उनकी मारक क्षमता लगभग 300 किलोमीटर है। इससे पहले, अमेरिका ने यूक्रेन से कहा था कि वह इनका उपयोग केवल यूक्रेनी क्षेत्र में रूसी बलों के खिलाफ करे। यह यूक्रेन के लिए बहुत बड़ी निराशा का कारण रहा है, खासकर इसलिए क्योंकि वह रूस के अंदर उन ठिकानों के खिलाफ उनका उपयोग नहीं कर सकता जहां से यूक्रेनी शहरों पर लगातार मिसाइल और ड्रोन हमले किए गए हैं। अब यूक्रेन जंग में रूस के अंदरूनी इलाकों पर भी हमले करने में सक्षम है।
Volodymyr Zelenskyy in War Zone
उत्तर कोरिया है कारण?
अमेरिका की नीति में बदलाव का सटीक विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के अनुसार रूसी क्षेत्र पर हमला करने की अनुमति शुरुआत में केवल कुर्स्क क्षेत्र में जमा हो रही रूसी सेना पर हमला करने के लिए ही लागू होगी। रूस यूक्रेन द्वारा कब्जाए गए 500 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को फिर प्राप्त करना चाहता है। पश्चिमी एजेंसियों का मानना है कि रूसी पक्ष में शामिल 50,000 सैनिकों में कई हजार उत्तर कोरियाई सैनिक हैं। उत्तर कोरिया की भागीदारी एटीएसीएमएस पर सीमाएं हटाने का मुख्य कारण हो सकती है।
राष्ट्रपति पुतिन साफ कर चुके हैं रुख
देखने वाली बात यह भी है कि, उत्तर कोरिया के सैनिकों की रूस की ओर से मौजूदगी अमेरिका के इस निर्णय को उचित ठहराने वाली साबित हो सकती है और इससे यह चिंताएं भी दूर होती हैं कि रूस इसे तनाव बढ़ाने वाला कदम कहेगा। कहा तो यह भी जा रहा है कि रूस और नाटो के बीच सीधे संघर्ष की संभावना अब तक अमेरिका की सतर्कता के चलते ही टली है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहले ही कह चुके हैं कि पश्चिमी हथियारों से रूस पर हमला करने देना नाटो की युद्ध में ‘प्रत्यक्ष भागीदारी’ माना जाएगा। क्रेमलिन ने इस सप्ताह अमेरिका की घोषणा पर उम्मीद के मुताबिक प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि यह युद्ध की ‘आग में घी डालने’ का काम करेगा।
Vladimir Putin
यहां से भी मिलेंगे हथियार
एटीएसीएमएस के इस्तेमाल पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण ब्रिटेन और फ्रांस ने यूक्रेन के स्टॉर्म शैडो और स्कैल्प मिसाइलों के इस्तेमाल पर भी ऐसी ही पाबंदी लगा दी थी, जिनकी मारक क्षमता 250 किलोमीटर है। ऐसा लगता है कि अमेरिका के इस कदम से अब ब्रिटेन और फ्रांस भी उन सीमाओं में ढील देने में इसी तरह का कदम उठाएंगे। यूक्रेन के शस्त्रागार में जर्मनी से भी हथियार आ सकते हैं जहां ग्रीन्स, सोशल डेमोक्रेट्स और विपक्षी क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स यूक्रेन को टॉरस क्रूज मिसाइलों की आपूर्ति को हरी झंडी देने का समर्थन करते हैं, जिनकी रेंज 500 किलोमीटर है। जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज ने अब तक इसे रोक रखा है।
यह भी समझें
वाशिंगटन के अधिकारियों ने हाल में दावा किया है कि एटीएसीएमएस का अब सीमित उपयोग होगा क्योंकि रूस ने अपने अधिकांश प्रमुख हथियारों, विशेष रूप से जेट लड़ाकू विमानों को उनकी रेंज से बाहर पहुंचा दिया है। हालांकि, कुछ सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि अभी भी सीमा के भीतर बहुत सारे सैन्य लक्ष्य हैं, जिनकी संख्या शायद सैकड़ों में है। इनमें कमांड और संचार चौकियां, रसद केंद्र, हथियार डिपो, मिसाइल इकाइयां और हेलीकॉप्टर टुकड़ी शामिल हैं। (द कन्वरसेशन)
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