अल्मोड़ा के ये सभी मंदिर प्राचीनकाल के हैं.
Almora Temples: अल्मोड़ा शहर से चितई गोलू देवता मंदिर तकरीबन 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. अल्मोड़ा का विंध्यवासिनी बा ...अधिक पढ़ें
- News18 Uttarakhand
- Last Updated : November 29, 2024, 15:08 IST
अल्मोड़ा. उत्तराखंड के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है. यही वजह है कि इस पहाड़ी राज्य को देवभूमि कहा जाता है. यहां चोटियों पर कई प्राचीन मंदिर स्थित हैं. अल्मोड़ा जिले की बात करें, तो यहां भी ऐसे कई सिद्ध मंदिर हैं, जो काफी ऊंचाई पर हैं और ट्रेकिंग कर वहां तक पहुंचा जाता है. हम बात कर रहे हैं अल्मोड़ा के कसार देवी मंदिर, चितई गोलू देवता मंदिर, विंध्यवासिनी बानड़ी देवी मंदिर, स्याही देवी मंदिर और कटारमल सूर्य मंदिर की. इन मंदिरों में उत्तराखंड के अलावा देश-विदेश से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.
अल्मोड़ा शहर से चितई गोलू देवता मंदिर तकरीबन 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. अल्मोड़ा का विंध्यवासिनी बानड़ी देवी मंदिर शहर से तकरीबन 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. स्याही देवी मंदिर शहर से तकरीबन 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. कसार देवी मंदिर की दूरी शहर से 8 किलोमीटर है. वहीं अल्मोड़ा का कटारमल सूर्य मंदिर शहर से करीब 12 किलोमीटर दूर है. इन मंदिरों तक पहुंचने के लिए आपको थोड़ी ट्रेकिंग करनी पड़ेगी. इनके नजदीक तक सड़क मार्ग है, जहां आप अपना वाहन पार्क कर मंदिरों के लिए ट्रेकिंग करते हुए आगे बढ़ सकते हैं.
न्याय के देवता हैं गोल्ज्यू महाराज
बताते चलें कि चितई गोलू देवता को उत्तराखंड में न्याय का देवता माना जाता है. उनके मंदिर में असंख्य चिट्ठियां और घंटियां इस बात की तस्दीक करती हैं कि लोग गोल्ज्यू महाराज के न्याय पर कितनी आस्था रखते हैं. मनोकामना पूरी होने के बाद वे मंदिर आते हैं और गोलू देवता के दर पर घंटी और प्रसाद चढ़ाते हैं. कसार देवी मंदिर की बात करें, तो यह पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है. इसका मतलब है कि यहां धरती के भीतर भू-चुंबकीय पिंड है. कसार देवी मंदिर से कई शक्तियां जुड़ी हुई हैं. इसका पता लगाने के लिए नासा के वैज्ञानिक भी यहां आ चुके हैं. स्वामी विवेकानंद भी यहां ध्यान लगा चुके हैं.
अल्मोड़ा में भारत का दूसरा सबसे बड़ा सूर्य मंदिर
अल्मोड़ा जिले में भारत का दूसरा सबसे बड़ा सूर्य मंदिर स्थित है. पहला सबसे बड़ा मंदिर ओडिशा के कोणार्क का सूर्य मंदिर है. बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 9वीं सदी में कराया गया था. कत्यूरी शासक कटारमल देव द्वारा इसे बनवाया गया था. कटारमल सूर्य मंदिर में स्थापित भगवान बड़ आदित्य की प्रतिमा पत्थर या धातु की न होकर बड़ के पेड़ की लकड़ी से बनी है, जिसे गर्भ गृह में ढककर रखा जाता है. मंदिर परिसर में छोटे-बड़े सब मिलाकर कुल 45 मंदिर हैं. पहले इन सभी मंदिरों में मूर्तियां रखी हुई थीं, जिन्हें अब गर्भ गृह में रखा गया है.
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FIRST PUBLISHED :
November 29, 2024, 15:08 IST