अहमदाबाद के इस मंदिर से जुड़ी है सुलतान की कथा! क्या है इसका चमत्कारी इतिहास?

2 hours ago 1

अहमदाबाद में गीता मंदिर के पास मोचिनी वाड़ी में स्थित बहुचर माता का मंदिर अपनी एक अनोखी और दिलचस्प कहानी के लिए प्रसिद्ध है. इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है, और आज भी यहां विशेष अवसरों पर हवन और पूजा का आयोजन किया जाता है. खासकर, चैत्र सुद अठमी और असो सुद अठमी को सुबह और रात को हवन किया जाता है, जो इस मंदिर की महिमा को और बढ़ाता है.

बहुचर माता का मंदिर और उसकी स्थापना
अहमदाबाद के लहनादार मोची जाति संस्था के ट्रस्टी और मंत्री, केतनभाई रसानिया ने लोकल 18 को बताया कि मोचिनी वाड़ी में स्थित यह मंदिर पौराणिक महत्व रखता है. इस मंदिर की स्थापना हरदास चितारा ने की थी. हरदास चितारा एक चित्रकार होने के साथ-साथ बहुचर माता के भक्त भी थे. उनकी आस्था और भक्ति का यह आलम था कि माता की कृपा से उनकी बनाई हर चित्र असलियत में बदल जाती थी, जो एक तरह का चमत्कार था.

हरदास चितारा का चमत्कारी चित्र
हरदास के इस चमत्कारी कार्य की खबर सुलतान तक पहुंची. उसने हरदास को अपनी बेगम का चित्र बनाने के लिए महल बुलाया. हरदास ने पानी में गिरती बेगम के प्रतिबिंब के आधार पर चित्र तैयार किया और इसे लेकर घर लौट आया. लेकिन जब वह घर आया, तो एक मक्खी ने चित्र पर बैठकर उस पर काला निशान बना दिया. यह देखकर हरदास को बहुत निराशा हुई, लेकिन उसने इसे माता का संकेत मानते हुए इसे अच्छे के लिए माना.

सुलतान की प्रतिक्रिया और हरदास की चतुराई
जब हरदास सुलतान के पास बेगम का चित्र लेकर गया, तो सुलतान ने चित्र को देखकर प्रसन्नता व्यक्त की, लेकिन काले धब्बे ने उसे क्रोधित कर दिया. हरदास ने सुलतान से कहा कि वह काला निशान बेगम के शरीर पर मौजूद तिल है. जांच में यह बात सही साबित हुई, और सुलतान ने हरदास को इनाम देने का निर्णय लिया. हालांकि, हरदास ने मंदिर निर्माण के लिए भूमि प्राप्त करने के लिए एक दिन का समय मांगा.

चाबुक और भूमि की प्राप्ति
हरदास ने एक दिन बाद अपने समाज से विचार-विमर्श किया और एक बड़ा चाबुक तैयार करवाया. यह चाबुक इतना बड़ा था कि इसके बने वृत्त का व्यास 4328 गुना था. अगले दिन हरदास ने यह चाबुक लेकर सुलतान से जमीन की मांग की. सुलतान ने उसकी मांग को स्वीकार किया और उसे भूमि आवंटित कर दी, साथ ही एक ताम्रपत्र भी दिया.

मंदिर की संरक्षा और बहुचर माता की महिमा
महमूद बेगड़ा के शासनकाल में जब कई हिंदू मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया, तब भी बहुचर माता का मंदिर सुरक्षित रहा. इस मंदिर की दीवारों पर माता का आशीर्वाद था, जो किसी भी संकट से उसे बचाए रखता था. आज भी इस मंदिर में विशेष तिथियों पर हवन और पूजा का आयोजन होता है.

विशेष पूजा और आयोजन
हर साल चैत्र सुद अठमी और असो सुद अठमी को विशेष हवन का आयोजन किया जाता है. इसके अलावा, बहुचर माता के प्राकट्य के दिन यानी माघ शर सुद बीज पर माता को अन्नकूट का भोग भी अर्पित किया जाता है. इस तरह, यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर भी है.

Tags: Dharma Aastha, Local18, Special Project

FIRST PUBLISHED :

November 29, 2024, 16:03 IST

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article