पीलीभीत: झांसी मेडिकल कॉलेज में हुए हादसे से पूरे प्रदेश को दहलाकर रख दिया. घटना के बाद से ही पूरे प्रदेश भर में आग से सुरक्षा के इंतजामों को लेकर सख्ती बरती जा रही है. पीलीभीत में भी प्रशासनिक अधिकारियों ने इसको लेकर अभियान की शरुआत कर दी है. अभियान के दौरान पीलीभीत मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा इंतजामों की पोल खुल गई.
दरअसल झांसी मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वॉर्ड में आग लगने से 10 नवजातों की जान चली गई थी. मामले में सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर शासन में बैठे अधिकारी अलर्ट मोड पर आ गए. झांसी की घटना के बाद पीलीभीत के डीएम संजय कुमार ने अस्पतालों समेत अन्य संस्थानों मे आग सुरक्षा संबंधी इंतजामों की जांच के निर्देश दिए गए. सिटी मजिस्ट्रेट विजयवर्धन सिंह ने इस अभियान की शुरुआत पीलीभीत मेडिकल कॉलेज से की. निरीक्षण के दौरान पीलीभीत मेडिकल कॉलेज प्रशासन की गंभीर लापरवाही देखने को मिली. निरीक्षण के दौरान कई सुरक्षा उपकरण बदहाली में पाए गए, तो वहीं कई यूनिट में फायर अलार्म, अग्निशामक यंत्र भी निष्क्रिय पाए गए. वहीं जब मेडिकल कॉलेज के स्टाफ से जानकारी ली गई, तो पाया गया कि स्टाफ में से कई लोग सुरक्षा उपकरणों को चलाना नहीं जानते. वहीं कई कर्मचारी तो ऐसे भी थी जिन्हें इमरजेंसी सेवाओं के नंबर तक की जानकारी नहीं थी. मौके पर मौजूद अग्निशमन विभाग की टीम द्वारा स्वास्थकर्मियों को इससे जुड़ा प्रशिक्षण दिया गया.
दो बार हो चुकी हैं घटनाएं
भले ही प्रशासनिक अधिकारी झांसी की घटना के बाद सख्त हुए हैं. लेकिन पीलीभीत मेडिकल कॉलेज को पूर्व में हुई घटनाओं से ही सबक लेना चाहिए था. बीते 24 अक्टूबर को पीलीभीत मेडिकल कॉलेज के ओपीडी वॉर्ड ने ओपीडी चलने के दौरान ही शॉर्ट सर्किट हुआ था. जिसके बाद आनन फानन में सभी मरीजों को निकालना पड़ा था. इससे पूर्व 16 अगस्त को भी पीलीभीत के सर्जिकल वॉर्ड में शॉर्ट सर्किट के चलते विद्युत उपकरणों में आग लग गई थी. लेकिन बावजूद इसके भी पीलीभीत मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से उदासीनता दिखाई गई जिसकी पोल आज हुए निरीक्षण में खुली.
पूरे मामले पर अधिक जानकारी देते हुए पीलीभीत सिटी मजिस्ट्रेट विजयवर्धन सिंह ने बताया कि निरीक्षण के दौरान पाया कि अस्पतालों में सुरक्षा उपकरण मौजूद हैं, लेकिन कर्मचारियों इसको लेकर प्रशिक्षित नहीं हैं. इसको लेकर आवश्यक निर्देश दिए गए हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 18, 2024, 14:59 IST