हजारीबाग. हजारीबाग शहर में कुत्तों का आतंक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. कुत्तों के दहशत से महिलाएं, बच्चे और बूढ़े सबसे अधिक डरे हुए हैं. सड़कों और गलियों में लोगों का चलना मुश्किल हो चुका है. कुत्तों के कारण आए दिन रोड एक्सीडेंट भी देखने को मिलते हैं. वैसे तो आवारा कुत्तों से निजात दिलाने का काम नगर निगम का है लेकिन, हजारीबाग के मैंगो मैन कहे जाने वाले मनोज गुप्ता और उनकी टीम के द्वारा कुत्तों की बढ़ रही आबादी को कंट्रोल करने के लिए प्रयास किया जा रहे है. इसके लिए उनके पहल संस्था के द्वारा कुत्तों की नसबंदी की जा रही है.
इस विषय पर मनोज गुप्ता बताते हैं कि हजारीबाग शहरी क्षेत्र में हाल के समय में कुत्तों की आबादी काफी बढ़ गई है. भोजन की कम आपूर्ति होने के कारण से यह कुत्ते आक्रामक हो जाते हैं. ऐसे में यह आए दिन लोगों पर काटने के लिए दौड़ पड़ते है. जिससे सबसे अधिक महिलाएं और बच्चे सड़कों पर निकलने से भी डरते हैं. अक्सर ये कुत्ते झुंड बनाकर पशुओं पर भी आक्रमण कर देते हैं.
आवारा कुत्तों की नसबंदी की जा रही है
शहर में कुत्तों की जनसंख्या पर नियंत्रण रखना सरकारी संस्थाओं और नगर निगम का काम है लेकिन अब जिम्मेदारी आम लोगों को भी उठानी पड़ेगी. जिसके लिए अभी शहर के आवारा कुत्तों की नसबंदी की जा रही है. यह नसबंदी प्रोग्राम पहल संस्था के द्वारा किया जा रहा है जिसमें पिछले दो दिनों में अब तक 3 कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है.
मनोज गुप्ता आगे बताते हैं कि संसाधनों की कमी के कारण अभी यह प्रोग्राम धीमा है. लेकिन इसके लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है कि किस प्रकार नसबंदी कार्यक्रम में तेजी लाया जा सके. कुत्तों को एक बार नसबंदी करने के बाद तीन दिनों तक हॉस्पिटल में ही रखा जाता है. फिर वापस उसी के इलाके में छोड़ दिया जाता है.
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FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 14:34 IST