आसन कंजर्वेशन रिजर्व में धूप सेंकते 'सुर्खाब'
देहरादून : उत्तराखंड की एकमात्र रामसर साइट आसन कंजर्वेशन रिजर्व इस समय विदेशी पक्षियों की चहचहाहट से गुलजार है. सर्दियों के दौरान, मध्य एशिया, साइबेरिया, कज़ाकिस्तान, नेपाल, भूटान, चीन और उत्तरी अमेरिका के ठंडे इलाकों से हजारों पक्षी यहां आते हैं. फरवरी के अंत तक, यहां करीब 6,000 से अधिक प्रवासी पक्षी देखे जाते हैं. इन पक्षियों में हर एक की अपनी खासियत है, लेकिन इनमें सुर्खाब पक्षी या ब्राह्मणी बतख अपनी अनोखी विशेषताओं के कारण विशेष ध्यान आकर्षित करता है.
सुर्खाब पक्षी, जिसे चकवा के नाम से भी जाना जाता है, उत्तरी-पश्चिमी अफ्रीका, इथियोपिया, दक्षिण-पूर्वी यूरोप, मध्य एशिया, चीन और नेपाल के ठंडे इलाकों में पाया जाता है. ठंड बढ़ने पर यह भारत का रुख करता है. इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह पूरी तरह शाकाहारी है. सुर्खाब न तो कीड़े खाता है और न ही मछलियां. यह घास, पौधों की कोंपलें, अनाज और पानी में जमा हरी काई (एल्गी) खाता है. शाकाहारी होने के कारण इसे ब्राह्मणी पक्षी कहा जाता है. बौद्ध धर्म में इसे पवित्र पक्षी माना गया है. इसके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण प्राचीन ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है.
वेदों और साहित्य में सुर्खाब का ज़िक्र
सुर्खाब का उल्लेख भारत के प्राचीनतम ग्रंथों में मिलता है. ऋग्वेद (2.39,3) और यजुर्वेद में इसका ज़िक्र है. इसकी जोड़ी यानी चकवा-चकवी के प्रेम और निष्ठा का वर्णन अथर्ववेद में किया गया है. कवियों ने भी इस पक्षी की प्रेम-भावना को अपनी रचनाओं में उकेरा है. कबीरदास ने अपने काव्य में लिखा.”सांझ पड़े, बीतबै, चकवी दीन्ही रोय! चल चकवा व देश को, जहां रैन नहिं होय।’ इसका अर्थ है कि चकवा पक्षी सूरज निकलने से शाम तक जोड़े में रहती है और सूर्यास्त होते ही अलग-अलग हो जाती है.
सुर्खाब की पहचान
सुर्खाब का रंग नारंगी और भूरे रंग का होता है. इसका सिर हल्का पीला और सफेद होता है, जबकि शरीर का पिछला हिस्सा काले रंग का होता है. इसकी लंबाई 23 से 28 इंच होती है. नर और मादा दोनों के पंख समान होते हैं, लेकिन नर आकार में थोड़े बड़े होते हैं. यह जलीय पक्षी अक्टूबर से फरवरी के दौरान भारत में प्रवास करता है. अधिकांश जलीय पक्षी मांसाहारी होते हैं, लेकिन सुर्खाब की शाकाहारी प्रवृत्ति इसे खास बनाती है.
आसन रिजर्व में सुर्खाब बना आकर्षण का केंद्र
आसन कंजर्वेशन रिजर्व प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग है. यहां पक्षी प्रेमियों को पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों को देखने का दुर्लभ अवसर मिलता है. सुर्खाब पक्षी अपनी चमकीली रंगत और अद्भुत गुणों के कारण पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है. यह रामसर साइट न केवल जैव विविधता को संरक्षित करने का काम करती है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए भी एक आदर्श स्थल है. सुर्खाब जैसे पक्षी यहां की जैव विविधता की समृद्धि को दर्शाते हैं.लोकल18 से बातचीत के दौरान वन दरोगा प्रदीप सक्सेना ने बताया कि सुर्खाब को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं. ये उत्तराखंड की एकलौती रामसर साइट आसन कंजर्वेशन रिजर्व के आकर्षक पक्षियों में से एक है. इसे रूडी सल्डक के नाम से भी जाना जाता है.
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FIRST PUBLISHED :
November 30, 2024, 13:11 IST