ईयर टैग बने पशुओं के लिए मुसीबत, कीड़ों की समस्या से काटने पड़ रहे हैं कान

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फाइल फोटो.

सागर. पशुओं की पहचान और डेटा तैयार करने के लिए सरकार द्वारा ईयर टैगिंग की जाती है, लेकिन इस बार सागर जिले में अत्यधिक बारिश के कारण यह टैगिंग पशुओं के लिए मुसीबत बन गई है. इसके कारण कई पशुओं के कानों में घाव हो गए हैं, और समय पर देखभाल न होने के कारण कुछ मामलों में कान काटने की नौबत भी आ रही है.

पशु विशेषज्ञ डॉक्टरों ने पशुपालकों से अपील की है कि वे अपने पशुओं की समय-समय पर देखभाल करें. वहीं, सागर के युवाओं ने एक समूह बनाकर ऐसे मवेशियों के इलाज का जिम्मा उठाया है. पिछले कुछ दिनों में वे 80 से अधिक मवेशियों की मरहम-पट्टी कर चुके हैं.

घाव बन जाने के बाद बिगड़ती स्थिति
बारिश के मौसम में आवारा मवेशी इधर-उधर घूमते रहते हैं. अधिक भीगने के कारण ईयर टैग वाली जगह से खून आना शुरू हो जाता है, जिससे मक्खियां वहां बैठने लगती हैं और घाव में कीड़े लग जाते हैं. पशुपालक तो अपने मवेशियों की देखरेख कर लेते हैं, लेकिन आवारा पशुओं की देखभाल न होने से उनके कानों में कीड़े लग जाते हैं, जिससे उनके कान काटने तक की स्थिति आ जाती है.

युवाओं का समूह आया मदद के लिए आगे
‘श्रीजी गौ सेवा’ नाम से एक सोशल ग्रुप चलाने वाले धर्मेंद्र चौबे बताते हैं कि पशु विभाग के कर्मचारी ईयर टैग सही तरीके से नहीं लगाते. टैगिंग से पहले कानों पर दवा लगाने की आवश्यकता होती है, लेकिन जल्दबाजी में कर्मचारी बिना दवा लगाए ही टैग लगा देते हैं, जिससे मवेशियों को यह दर्द सहना पड़ता है. धर्मेंद्र का कहना है कि खासतौर पर बारिश के मौसम में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है, इसलिए इस मौसम में टैगिंग नहीं की जानी चाहिए.

डॉक्टर का बयान
डॉक्टर ए.के. चढ़ार का कहना है कि पशुपालकों को टैग लगने के बाद मवेशियों के कानों की देखभाल करने की सलाह दी जाती है. उन्होंने स्वीकार किया कि आवारा मवेशियों की देखभाल न होने से उनके कानों में कीड़े लग जाते हैं, और बारिश के मौसम में यह समस्या ज्यादा बढ़ जाती है.

Tags: Latest hindi news, Local18, Mp news, Sagar news

FIRST PUBLISHED :

September 27, 2024, 14:59 IST

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