सतना: किसी मरीज को तकलीफ अभी हो और उसकी जांच में 4 महीने बाद की जाए तो क्या होगा? जवाब आप खुद समझ सकते हैं. सतना के जिला अस्पताल में कुछ ऐसा ही हो रहा है. सोनोग्राफी कराने वाले मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. चार अल्ट्रासोनोग्राफी (यूएसजी) मशीनें होने के बावजूद डॉक्टरों की कमी के चलते मरीजों को मार्च 2025 तक की तारीख दी जा रही है. रोजाना ओपीडी और आईपीडी के जरिए 100 से अधिक मरीज सोनोग्राफी के लिए पहुंचते हैं, लेकिन केवल 40-50 की जांच हो पाती है.
रेडियोलॉजिस्ट की कमी बनी बाधा
अस्पताल में नई मशीनों पर आधुनिक सुविधाएं, जैसे कलर डॉपलर, उपलब्ध हैं. लेकिन, रेडियोलॉजिस्ट की कमी के चलते मरीजों को निजी डायग्नोस्टिक सेंटर का रुख करना पड़ रहा है. विशेषज्ञों के अनुसार, अस्पताल को कम से कम पांच और रेडियोलॉजिस्ट की आवश्यकता है, जिससे यह समस्या हल हो सके.
लोकल 18 की पड़ताल में सच उजागर
जब लोकल 18 टीम ने इस मुद्दे पर आरएमओ से बात करने की कोशिश की, तो उनसे संपर्क नहीं हो सका. इसके बाद लोकल 18 की टीम ने जनरल सोनोग्राफी केंद्र का दौरा किया. मौके पर हालात और भी गंभीर नजर आए. मीडिया को देखते ही सोनोग्राफी कक्ष का दरवाजा बंद कर दिया गया.
मरीजों का फूटा गुस्सा
एक महिला मरीज जो गंभीर स्थिति में थी, अपने 4-5 परिजनों के साथ पहुंची. लेकिन, कक्ष का दरवाजा बंद होने के कारण उन्हें बाहर ही इंतजार करना पड़ा. अन्य मरीजों ने भी अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए. एक मरीज ने कहा कि स्टाफ अक्सर छुट्टी पर रहता है, जिससे जांच में देरी होती है और मरीजों की संख्या बढ़ती जाती है.
स्टाफ ने दिए तर्क
स्टाफ ने बताया कि एक सोनोग्राफी में 15-20 मिनट लगते हैं और महिला मरीज की एंट्री दर्ज नहीं थी. उन्होंने रजिस्टर दिखाते हुए दावा किया कि नियमित समय पर सभी मरीजों को देखा जा रहा है. हालांकि, कई सवालों पर स्टाफ ने भी चुप्पी साध ली.
प्रशासन की चुप्पी बनी सवाल
लोकल 18 की टीम की उपस्थिति में गंभीर महिला की सोनोग्राफी करवाई गई. लेकिन, यह सवाल अब भी बना हुआ है कि आखिर अस्पताल की व्यवस्थाएं कब सुधरेंगी. जिला अस्पताल में चल रही इस लापरवाही का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.
FIRST PUBLISHED :
November 18, 2024, 17:44 IST