कभी 50 पैसे में मिलती थी संसद में भरपेट खाने की थाली, जानें संसद की कैंटीन में आज कितना है रेट

3 hours ago 1
Indian parliament veg thali rate from 1947 to 2024 kno how much parliament canteen food rate today- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO/FREEPIK संसद में अब कितने रुपये में मिलता है खाना

संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। हर सत्र में विपक्ष द्वारा खूब हंगामा देखने को मिल रहा है। इस कारण संसद भवन के कार्यकाल को रोजाना स्थगित करना पड़ रहा है। ऐसे में संसद में आने वाले सांसदों और पत्रकारों और दर्शकों की संख्या भी बढ़ जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि संसद में एक कैंटीन भी है। यहां वेज थाली कितने की मिलती है क्या आप जानते हैं। क्या आप जानते हैं कि यहां एक चपाती यानी रोटी की कितनी कीमत है। पिछले 70 सालों में यह कैंटीन कितनी बदल चुकी है। दरअसल नया संसद भवन बन चुका है। वहीं सारी संसद की कार्यवाही की जाती है। ऐसे में संसद की कैंटीन को और भी ज्यादा मॉडर्न बना दिया गया है सुसज्जित किया गया है। कैंटीन के खाने की लिस्ट में मिलेट के व्यंजनों को भी शामिल किया गया है। पहले इस कैंटीन में सस्ते में भोजन मिल जाती थी। लेकिन अब खाने की कीमतें बढ़ चुकी हैं। हालांकि अन्य होटलों की तुलना में संसद भवन की कैंटीन अब भी सस्ती है।

कभी 50 पैसे में मिलती थी संसद की कैंटीन की शाकाहारी थाली

बता दें कि आजादी के बाद संसद भवन परिसर में मौजूद कैंटीन का प्रबंधन उत्तरी रेलवे द्वारा किया जाता था। हालांकि साल 2021 में भारत पर्यटन विकास निगम द्वारा इस कैटीन को चलाया जा रहा है। नई कीमतों की अगर बात करें तो यहां एक चपाती की कीमत है 3 रुपये। वहीं चिकन बिरयानी और चिकन करी की कीमत 100 रुपये और 75 रुपये हैं। इसके अलावा सैंडविच की कीमत 3-6 रुपये है और शाकाहारी थाली की कीमत 100 रुपये है। बता दें कि जब देश आजा हुआ उस समय कैंटीन काफी छोटी थी। बाद में गैस चूल्हे आए। जवाहर लाल नेहरू से लेकर पीएम नरेंद्र मोदी तक इस कैंटीन में खाना खा चुके हैं। हालांकि समय के साथ साल दर साल कैंटीन की व्यवस्था में काफी बदलाव हो चुका है। साल 1950 से 1960 के दशक में संसद की कैंटीन काफी छोटी और परंपरागत थी। इस समय भोजन की कीमतें बहुत ज्यादा सब्सिडी वाली थी। इस समय एक शाकाहारी थाली की कीमत 50 पैसे थी। इसके अलावा चाय, नाश्ता व अन्य खाने के सामान सस्ते मूल्य पर सांसदों को उपलब्ध था।

अब कितनी है संसद के कैंटीन में खाने की कीमत

लेकिन 1970 से 1980 के दशक में भी भोजन की कीमतें कम थी। तब शाकाहारी थाली 30 रुपये में मिलती थी। वहीं चिकन करी 50 रुपये में, रोटी की कीमत 2 रुपये थीं। ये कीमते 1990 के दशक तक जारी रहीं। बता दें कि 1960 के दशक में संसद की कैंटीन में सामान्य बदलाव देखने को मिली और एलपीजी गैस का इस्तेमाल होने लगा। साल 1968 में भारतीय रेलवे क उत्तरी जोन आईआरसीटीसी ने कैंटीन का काम संभाला। ये वह दौर था जब कैंटीन बहुत सस्ती थी और खान-पान के लिए तमाम आइटम वेजिटेरियन से लेकर नॉनवेज तक उपलब्ध थे। संसद भवन में एक मुख्य किचन है जहां सारा खाना बनता है। वहां से खाने के सामन को पांच कैंटीनों में लाया जाता है। यहां खाने को गर्म कर सर्व किया जाता है। ऐसे में सुबह के वक्त ही सब्जियां, दूध, मसाले इत्यादि चीजों की आपूर्ति कर दी जाती है। 

संसद सत्र के दौरान 500 लोगों का बनता है खाना

साल 2008 में कई बार आसपास में गैस लीक और उपकरणों में आ रही गड़बड़ी के कारण कैंटीन में ईंधन का पूरा सिस्टम ही बदल दिया गया। अब यहां खाना पूरी तरह से बिजली के उपकरणों पर पकता है और कैंटीन के खानों, व्यवस्थाओं और क्वालिटी को देखने का काम सांसदों से जुड़ी एक समिति करती है। वहीं इसके लिए निर्देश भी तय करती है। कैंटीन का संचालन जब तक आईआरसीटीसी के कंट्रोल में था, तब तक इसमे 400 लोगों का स्टाफ रखा गया था। बता दें कि जब संसद सत्र चलता है ति करीब 500 लोगों का खाना पकता है। खाने को सुबह के 11 बजे तक ही तैयार कर लिया जाता है। पिछले साल इसी समय पर कैंटीन में खाने पीने की कुल 90 आइटम थीं। इसमे ब्रेकफास्ट, लंच इत्यादि की व्यवस्था होती है। हालांकि 27 जनवरी से इस कैंटीन को भारतीय पर्यटन विकास निगम संचालित कर रहा है। इसके साथ ही खाने के आइटमों की संख्या घटकर 48 रह गई है। हालांकि खाने की सफाई और स्वाद का पूरा ध्यान रखा जाता है।

Latest India News

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article