काले, सफेद, हरे, गुलाबी चना की खेती से किसान बनेंगे मालामाल

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चना

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Sagar News: किसानों के लिए काले, सफेद, हरे और गुलाबी चने की खेती एक लाभकारी विकल्प साबित हो सकती है. इस लेख में एक्सपर् ...अधिक पढ़ें

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सागर. खेती को लाभ का धंधा बनाने और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार के द्वारा तरह-तरह की प्रयास किया जा रहे हैं, लेकिन किसान अपनी विलुप्त होती अनाज की प्रजातियां पर ही जोर देने लगे, तो भी वह अच्छा मुनाफा कमा सकता है. ऐसे ही बुंदेलखंड की कुछ चना की प्रजातियां हैं, जिनकी खेती कर किसान 2 से 6 गुना तक मुनाफा कमा सकता है. इसमें काला चना ,सफेद चना, हरा चना, गुलाबी चना और खजवा चना ऐसी प्रजाति है, जो बिना पानी के या अधिकतम दो पानी की सिंचाई में ही बंपर उत्पादन दे सकते हैं.

सागर के युवा प्रगति शील किसान आकाश चौरसिया बताते हैं कि यह चना की पांच देशी विलुप्त होती वैरायटी है, जिनके औषधीय गुण होने की वजह से बाजार में इनकी अच्छी कीमत मिल जाती है, जो किसान कम पानी होने की वजह से इस सीजन  खेती नहीं कर पाते हैं, वह चना की बुवाई कर सकते हैं इसमें काला चना मात्र 25 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से बोया जाता है और यह अधिकतम दो सिंचाई में 6 से 8 क्विंटल की पैदावार दे देता है. इसमें भरपूर आयरन होता है शुगर के मरीजों के लिए कारगर होता है मसल्स बनाने के काम आता है.

ऐसे ही हरा चना होता है, जिसके सब्जी में मटर के जैसा इस्तेमाल किया जाता है, 30 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से बुवाई होने पर 8 क्विंटल तक का उत्पादन मिल जाता है, फिर सफेद चनी होती है जिसको डॉलर चना भी कहा जाता है, उसी का छोटा रूप है इसका सब्जियों में इस्तेमाल किया जाता है. इसमें फॉलिक अमोनिक और जिब्रालिक एसिड पाई जाती है, हार्ट के मरीजों के लिए यह फायदेमंद होता है, केवल एक पानी में इससे 9 क्विंटल तक की उपज मिलती है,

बुंदेलखंड की एक और वैरायटी गुलाबी चना हैं दो पानी सिंचाई करने पर इसमें 7 से 8 क्विंटल का उत्पादन होता है इसको भिगोकर खाने पर या भूनकर खाने पर पाचन शक्ति बढ़ती है और यह शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है. पांचवी चने के रूप में बुंदेलखंड की मूल प्रजाति खजवा चना है, इसकी स्क्न रफ होती है यह जीरो पानी में भी अच्छी पैदावार दे देता है.

यह पांच चना की ऐसी वैरायटी है जो बाजार में किसानों को अच्छी कीमत उपलब्ध कराती हैं क्योंकि यह औषधीय गुणों से भरपूर है. साथिया मिट्टी और पर्यावरण के लिए भी काफी अनुकूल है. तो हल्की जमीन भारी जमीन और कम पानी वाले किसान या जिनके पास पानी है, तो वो किसान भी इन वैरायटी को बुवाई करके खेती कर सकते हैं.

Editer- Anuj Singh

Tags: Latest hindi news, Local18, Madhya pradesh news, Sagar news

FIRST PUBLISHED :

November 23, 2024, 11:03 IST

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