कुल्लू में खरीद रहे ये यूनिक शाॅल? इन बातों का रखें ध्यान वरना लगेगा चूना...

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महीन डिजाइन वाली कुल्लू की शॉल

Kullu Shopping Tips: कुल्लू की शॉलें अपने पारंपरिक डिजाइन और हाथ से बुनाई के लिए प्रसिद्ध हैं. यह भेड़ की ऊन से खड्डी प ...अधिक पढ़ें

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कुल्लू. सर्दियों के मौसम में बर्फबारी का दीदार करने लाखों सैलानी कुल्लू मनाली आते हैं. ऐसे में कुल्लू की ठंड में सैलानी भी लोकल लोगों की तरह ही उनके रंग में रंगने का अनुभव कर सकते है. साथ ही कुल्लू से यादगार के तौर पर यहां की विश्व प्रसिद्ध कुल्लवी शॉल तोहफे के तौर पर अपने परिवार और दोस्तों के लिए लेकर जा सकते हैं.

इसके लिए आपका यह जानना बेहद जरूरी है कि कुल्लू की शॉल होती कैसी है. और कैसे इसकी पहचान की जाए. कुल्लू की खूबसूरत शॉल में इस्तेमाल ऊन, खड्डी पर हाथ से बुने इसके धागों और डिजाइन को देख आप इसकी सही कीमत को भी समझ लें. ताकि कुल्लू से जाते हुए आप असली कुल्लवी शॉल और कई यादें अपने साथ वापस ले जा सकें.

रंगीन धागों से डिजाइन वाली कुल्लवी शॉल
हिमाचल प्रदेश की महिलाओं द्वारा सर्दियों में शॉल का इस्तेमाल किया जाता हैं. आम तौर पर कुल्लवी शॉल भेड़ की ऊन से बनाई जाती है और इस शॉल को खड्डी पर बुना जाता है. शॉल में रंगीन धागों से पारंपरिक ज्योमैट्रिक डिजाइन बनाए जाते हैं. आमतौर पर इसके बॉर्डर को एक ही रंग से सजाया जाता है, जो इसकी खास पहचान है.

कुल्लवी डिजाइन से महंगा होता है किन्नौर डिजाइन
कुल्लवी और किन्नौरी शॉल दोनों भेड़ की ऊन से बनाई जाती हैं, लेकिन इनका मुख्य अंतर उनके डिजाइन में है. किन्नौरी शॉल में बारीक और महीन डिजाइन, जिसे एक सिंगल धागे से बनाया जाता है , जिसके लिए अधिक समय और मेहनत लगती है. इस कारण किन्नौरी शॉल महंगी होती है. वहीं, कुल्लवी शॉल में डिजाइन बड़े और स्पष्ट होते है, इसे डबल धागे से बनाया जाता है. जिससे कम लेबर और समय में बनने के चलते यह दम में किन्नौरी शॉल से सस्ती होती है.

डिजाइन से साथ बदलता है शॉल का दाम
कुल्लू की शॉल 1500 रुपए से 2 हजार की कीमत से शुरू हो जाती है. ऐसी शॉल में आपको सादा डिजाइन देखने को मिलता है. जिसमें कुल्लवी पैटर्न का एक सिंगल ज्योमैट्रिक डिजाइन होगा. जबकि किन्नौर डिजाइन में यही सेम शॉल 5 हज़ार रुपए से शुरू होगी. लेकिन डिजाइन की बारीकी और ज्यादा फूलों के बनने से इसकी मेहनत बढ़ जाती है जिससे शॉल का दाम बढ़ जाता है. और 3 फूल के डिजाइन वाली शॉल 15 हजार रुपए तक बनती है. और ज्यादा भरे हुए डिजाइन और बारीक डिजाइन के चलते इसकी कीमत 25 हजार से 50 हजार तक भी जाती है.

खड्डी पर बनी और मशीनी का भी कर ले फर्क
पारंपरिक तौर पर आज भी कुल्लू की शॉल खड्डी पर बनाई जाती है. इसमें आपको धागों की गांठें और हाथ से बनी शॉल दोनों तरफ से एक जैसा एक रंग का दिखता है. असली शॉल दोनों तरफ से ओढ़ने पर डिजाइन में एक जैसी ही लगती है. जबकि लुधियाना की फैक्ट्रियों में बनी मशीनी शॉल में एक रंग को आगे की तरफ फीका है है दूसरी तरफ से डार्क दिखता है. दोनों तरफ से यह देखने में अलग होती है. ऐसे आप इसकी पहचान कर सकते है. मशीनों में बनी यह शॉलें दाम में सस्ती होती हैं लेकिन, कुल्लू मनाली आकर भी असली हाथ से बनी शॉल न खरीद पाए तो क्या मतलब? ऐसे में अपने परिवार के किसी सदस्य के लिए शॉल खरीदते हुए इन सभी बातों को ध्यान में जरूर रखें. यहां से जाते हुए असली कुल्लवी शॉल और अच्छी यादें अपने साथ समेट कर ले जाए.
Edited By- Anand Pandey

Tags: Designer clothes, Himachal pradesh news, Kullu Manali, Local18

FIRST PUBLISHED :

November 23, 2024, 17:17 IST

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