केवल नौवीं तक ही पढ़ा है ये किसान,लेकिन कमाई के मामले कई पढ़े-लिखे लोग भी पीछे

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बनासकांठा: गुजरात के बनासकांठा जिले के रासणा गांव के 42 वर्षीय अर्जनभाई खम्भलिया ने जैविक खेती को अपनाकर सफलता की नई दिशा चुनी है. पिछले दस वर्षों में, उन्होंने देशी गाय आधारित प्राकृतिक तरीकों पर आधारित (Based connected cattle based earthy methods) पांच-स्तरीय मॉडल फार्म (Five-level exemplary farm) तैयार किया है, जो आज दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बन रहा है. आइए जानते हैं, वे इस खेती से कितनी कमाई कर रहे हैं और अन्य किसानों को इससे क्या लाभ हो रहा है.

अर्जनभाई, जिन्होंने केवल नौवीं कक्षा तक ही पढ़ाई की है, उनके पास कुल 32 बिघा ज़मीन है. पहले वे पारंपरिक रासायनिक खेती करते थे, लेकिन उत्पादन की कमी और लागत के मुकाबले आय न मिलने पर उन्होंने सुबाष पालकर से प्रशिक्षण लेकर प्राकृतिक खेती की दिशा में कदम बढ़ाया. आज, वे अपनी ज़मीन पर पांच-स्तरीय मॉडल फार्म के साथ जैविक खेती कर रहे हैं.

अर्जनभाई खम्भलिया ने रासणा गांव में 3 बिघा खेत में पांच-स्तरीय मॉडल फार्म तैयार किया है. जिसमें उन्होंने 50,000 रुपये की लागत से 200 विभिन्न प्रकार के फलदार पौधे लगाए हैं. इसमें चीकू, आम, खारक, फालसा, अंजीर, अमरूद, मीठी लिली, सीताफल और नींबू के पौधे शामिल हैं. सभी पौधों को उन्होंने 15×10 के अंतराल पर लगाया है.

फलसा और मूंगफली से हुई कमाई, आलू से भी उम्मीदें
पिछले तीन वर्षों से फालसा की खेती से 32 हजार रुपये की आय हो रही है. उन्होंने खेत में 150 से अधिक फालसा के पौधे लगाए हैं, जिनसे 210 किलोग्राम फालसा उत्पादित होता है. गर्मी के मौसम में उन्होंने एक अंतरफसल के रूप में मूंगफली की खेती की, जिसमें 8 हजार रुपये की लागत आई और 42 हजार रुपये की कमाई हुई. इसके बाद उन्होंने मानसून में भी मूंगफली की खेती की, जिसमें 8 हजार रुपये खर्च हुए और 35 हजार रुपये की आय हुई. अब वे आलू की खेती कर रहे हैं, जिसमें इस वर्ष उन्होंने 30 हजार रुपये खर्च किए हैं और अगले सीजन में 55 से 60 हजार रुपये की आय होने की उम्मीद है. मतलब अगर आलू से 60,000 रुपये की आय होती है, तो कुल आय 1,53,000 रुपये हो सकती है.

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प्राकृतिक खेती को अपनाया
अर्जनभाई खम्भलिया, रासणा गांव के किसान, अपनी फसलों में किसी भी प्रकार के रासायनिक खाद या कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं करते. वे पिछले दस वर्षों से देशी गाय आधारित बीजामृत, जीवामृत, घन जीवामृत, अच्छादान, दसपर्णी अर्क, नीमास्त्र और खट्टी छाछ का इस्तेमाल कर खेती कर रहे हैं. इस तरीके से उन्हें पूरे साल अच्छी कमाई हो रही है और वे अन्य किसानों को भी प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

Tags: Local18, Special Project

FIRST PUBLISHED :

November 19, 2024, 15:53 IST

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