नई दिल्ली:
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महत्वपू्र्ण मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली के मंडी भवन स्थित हिमाचल भवन को अटैच करने का आदेश दिया है. हाई कोर्ट के ये आदेश बिजली कंपनी की रकम ना लौटाने से जुड़े केस में दिए गए हैं. अदालत ने बिजली विभाग के प्रधान सचिव को इस मामले में फैक्ट फाइंडिंग जांच के आदेश भी दिए हैं, ताकि उन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जा सके, जिनकी लापरवाही से यह स्थिति बनी.
क्या है पूरा मामला
हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में चिनाब नदी पर 400 मेगावाट के सेली हाइड्रो प्रोजेक्ट बनना था. इस प्रोजेक्ट में पहले भी आर्बिट्रेशन में प्रदेश सरकार को कंपनी की ओर से जमा की गई 64 करोड़ रुपये की अपफ्रंट मनी 7 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने का आदेश मिला था, लेकिन हिमाचल प्रदेश सरकार में कोर्ट के इस आदेश की अवहेलना की. जिसके बाद ब्याज समेत यह राशि अब 150 करोड़ पहुंच गई है.
कोर्ट ने जांच के भी आदेश दिए
हाई कोर्ट के न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड द्वारा ऊर्जा विभाग के खिलाफ दायर अनुपालना याचिका पर सुनवाई के पश्चात यह आदेश दिए. कोर्ट ने एमपीपी और पावर विभाग के प्रमुख सचिव को इस बात की तथ्यात्मक जांच करने के आदेश भी दिए कि किस विशेष अधिकारी अथवा अधिकारियों की चूक के कारण 64 करोड़ रुपए की 7 फीसदी ब्याज सहित अवार्ड राशि कोर्ट में जमा नहीं की गई है.
दोषी अधिकारियों के खिलाफ होगा एक्शन
हाई कोर्ट ने कहा कि दोषियों का पता लगाना इसलिए जरूरी है क्योंकि ब्याज को दोषी अधिकारी अधिकारियों-कर्मचारियों से व्यक्तिगत रूप से वसूलने का आदेश दिया जाएगा. कोर्ट ने 15 दिनों की अवधि के भीतर जांच पूरी करने और जांच की रिपोर्ट को अगली तारीख को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत के आदेश भी दिए. अब इस मामले पर अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होगी.