अल्मोड़ा: मैदानी इलाकों की शादी और पहाड़ी क्षेत्र की शादी में बेहद अंतर है. मैदानों में सड़क के बाहर से ही बैंक्विट हॉल अन्य चीज की सुविधा मिल जाती है पर पहाड़ों की शादी में चीजें इतनी आसीने से नहीं मिलती. यहां की ग्रामीण क्षेत्र की शादी में क्या खास रहता है, हम आपको बताते हैं. बाराती और दूल्हा पगडंडी रास्तों, ढलान और चढ़ाई वाले रास्तों से होते हुए, बारात के स्थान तक पहुंचते हैं. पहाड़ों की इन बारात में हर कोई आपको मगन भी देखने को मिलता है. रास्ता चाहे जैसा भी हो पर पहाड़ी ढोल दमाऊं में लोग डांस करते हुए बारात में एंजॉय करते हुए नजर आते हैं. छोटे बच्चों से लेकर बड़े तक इसमें शामिल होते हैं.
पहाड़ों में दूर से ही पता चल जाता है बारातों के आने का
ग्राम प्रधान प्रकाश चंद्र पांडे ने बताया कि मैदानी इलाकों की शादी में बाराती और दूल्हा गाड़ी में बैठकर हॉल तक पहुंच जाते हैं पर पहाड़ों की शादी में बाराती और दूल्हा पगडंडी, ढलान और ऊंचाई वाले रास्तों से होते हुए बारात को स्थान तक पहुंचाते हैं. सक्रिय रास्ता होने के बावजूद भी सभी लोग काफी मौज मस्ती में बारात के साथ चलते हैं. पहाड़ों की बारात की खास बात ये भी होती है कि ढोल दमाऊं से पता चल जाता है की बारात अभी कहां पर पहुंची है. इसके हिसाब से लोग अपने तैयारी में जुट जाते हैं.
शादियों में दिखती है संस्कृति
स्थानीय निवासी राजन चंद्र जोशी ने बताया कि अगर किसी को उत्तराखंड की मूल संस्कृति को देखना है और यहां की संस्कृति से रूबरू होना है, तो आपको एक बार यहां की शादियों में जरूर शिरकत करनी चाहिए. कई गांव ऐसे हैं, जो सड़क से एक दो किलोमीटर नीचे बसे हुए हैं. इन रास्तों से गुजरते हुए लोग बारात के स्थान तक पहुंचते हैं. कुछ गांव के लोग आज भी वही परंपरा को जीवित रखे हुए हैं. इन बारात में आपको उत्तराखंड का कल्चर देखने को मिल जाता है.
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FIRST PUBLISHED :
November 21, 2024, 13:19 IST