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Khinvsar Upchunav Result : खींवसर में क्यों ढह गया हनुमान बेनीवाल का गढ़, क्या बीजेपी की रणनीति कर गई काम?
नागौर. राजस्थान में सात सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम इस बार अप्रत्याशित रहे हैं. इन चुनावों में बीजेपी ने कांग्रेस के गढ़ झुंझुनूं के साथ ही आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल के गढ़ खींवसर को भी ढहा दिया है. बीजेपी ने झुंझुनूं की तरह खींवसर सीट पर भी धमाकेदार जीत दर्ज कराकर सबको चौंका दिया है. खींवसर में बीजेपी के रेंवतराम डांगा ने आरएलपी चीफ और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को 13870 वोट से हराकर वहां कमल खिला दिया है. खींवसर में हार से आरएलपी सदमे में है.
बीजेपी की इस जीत के पीछे गत बार बेहद कम मार्जिन से चुनाव हारे रेंवतराम डांगा को फिर से प्रत्याशी बनाया जाना माना जा रहा है. डांगा विधानसभा चुनाव 2023 में हनुमान बेनीवाल से महज दो हजार से कम मतों के अंतर से हारे थे. उस चुनाव के 10 महीने बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी ने डांगा की लोकप्रियता को भुनाते हुए वापस उन्हें ही मैदान में उतार आखिरकार ‘मैदान’ मार लिया और आरएलपी को चारों खाने चित्त कर दिया.
बेनीवाल ने पिछली बार भाई को बना दिया था विधायक
वहीं आरएलपी की इस हार के पीछे परिवारवाद की राजनीति को भी जिम्मेदार माना जा रहा है. खींवसर सीट से हनुमान बेनीवाल लगातार चार बार विधायक रह चुके हैं. इनमें एक बार बीजेपी से, एक बार निर्दलीय, दो बार खुद की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) से विधायक बने. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वे एनडीए से गठबंधन कर सांसद बने थे. तब यह सीट खाली हुई तो बेनीवाल ने उस समय वहां से अपने सगे छोटे भाई को विधायक बना दिया.
बेनीवाल इस बार पत्नी को उतार दिया चुनाव मैदान में
इस बार जब उन्होंने कांग्रेस से गठबंधन कर सांसद का चुनाव लड़ा और जीता. लेकिन इस बार भी उन्होंने खींवसर सीट से अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतार दिया. राजनीति के जानकारों का कहना है कि यहीं पर बेनीवाल मात खा गए. पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ अन्य मतदाताओं के मन में यह बात घर कर गई कि वे भी परिवारवाद को ही बढ़ावा दे रहे हैं. लिहाजा मतदाता अब बीजेपी की ओर मूव कर गया और आरएलपी जमीन पर आ गई. अब आरएलपी को एक भी विधायक नहीं है.
Tags: Assembly by election, Political news
FIRST PUBLISHED :
November 23, 2024, 14:36 IST