जानकारी देते कृषि वैज्ञानिक
भरत चौबे/सीतामढ़ीः फसल उत्पादन की लागत कम करने और फसल की पैदावार ज्यादा करने के लिए अब किसान जैविक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं. रासायनिक खादों के प्रयोग से मिट्टी कड़ी होती जा रही है. खेतों को नरम करने के लिए किसान रोटावेटर से जोताई कराते हैं, जिससे किसानों के मित्र कीट कहे जाने वाले केंचुए मारे जाते हैं. यही कारण है कि ये खेतों से गायब हो चुके हैं. इन समस्याओं को देखते हुए कृषि वैज्ञानिक किसानों को जीवामृत खेती करने की सलाह दे रहे हैं.
कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. राम ईश्वर प्रसाद ने Local18 को बताया कि जो व्यक्ति केमिकल युक्त या रासायनिक खेती नहीं करना चाहता है और जैविक तथा प्राकृतिक खेती की ओर आना चाहता है, उसके लिए जीवामृत किसी वरदान से कम नहीं है. यह खेतों की उपजाऊ शक्ति बढ़ा देता है और पोषक तत्वों की भरमार कर देता है.
कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि जीवामृत से मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की भरमार हो जाती है. इसे मिट्टी में डालते ही फसलों को फायदा पहुंचाने वाले जीवाणु, बैक्टीरिया, वायरस, केंचुआ और राइजोबियम बैक्टीरिया की संख्या अपने आप बढ़ने लगती है. इसके साथ ही भूमि में कार्बन की मात्रा भी बढ़ती है, जिससे भूमि की संरचना में सुधार होता है. जिस खेत में इसे डालते हैं, वहां फसल की उपज अच्छी हो जाती है.
ऐसे करें छिड़काव
जीवामृत को बहुत ही आसानी और सस्ती लागत में बनाया जा सकता है. कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि जीवामृत बनाने के लिए किसान को मुख्य रूप से 200 लीटर या 180 लीटर पानी की टंकी लेकर, फिर इसमें 20 किलो देसी गाय का गोबर, 10 लीटर गोमूत्र, 1 किलोग्राम गुड़, 2 किलोग्राम बेसन और पुराने पेड़ की मिट्टी आधा किलो लेकर सभी को मिलाना है.
48 घंटे में तैयार
उन्होंने कहा कि मिट्टी किसी भी खेत की मिट्टी या पीपल और बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी मिल जाए, तो उससे बेहतर कुछ नहीं होगा. अब इन सभी सामग्रियों को एक ड्रम या बड़े बर्तन या बड़े घड़े में भर लें और उसे अच्छी तरह से मिला दें. फिर इसके बाद इस मिश्रण को हिलाकर 48 घंटे तक रख दें. 48 घंटे बाद आपके खेतों को उपजाऊ बनाने के लिए जीवामृत बनकर तैयार हो जाएगा. इससे आपकी फसल अच्छी होगी और भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी, जिससे आपके खेत की मिट्टी बहुत उपजाऊ हो जाएगी.
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FIRST PUBLISHED :
September 29, 2024, 12:34 IST