पीलीभीत : आपने कभी न कभी बाघ एक्सप्रेस ट्रेन का नाम ज़रूर सुना होगा. यह ट्रेन हावड़ा से काठगोदाम के बीच चलती है. इन दिनों एक ‘बाघ एक्सप्रेस’ पीलीभीत में भी दौड़ रही है. लेकिन यह ‘बाघ एक्सप्रेस’ लोगों को जिम कॉर्बेट या फिर नैनीताल पहुंचाने के लिए नहीं बल्कि संवेदनशील इलाकों के ग्रामीणों को बाघ के हमले से बचने के टिप्स एंड ट्रिक्स सिखा रही है. यह अनोखा प्रयोग पीलीभात टाइगर रिजर्व और टीएसए इंडिया फांउनडेशन के संयुक्त प्रयासों से किया जा रहा है.
दरअसल, पीलीभीत टाइगर रिजर्व के तमाम गांव और इलाके ऐसे हैं जो इंसानों और जंगली जानवरों के संघर्ष के लिहाज से काफी संवेदनशील हैं. अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो पीटीआर की घोषणा के बाद से वर्ष 2014 से अब तक मानव वन्यजीव संघर्ष में अब तक 45 से भी अधिक इंसानों की जान जा चुकी है. वहीं पीलीभीत के मटैना गांव में एक बाघिन को ग्रामीणों ने लाठी-डंडों से पीटकर उसे मौत के घाट उतार दिया था. अगर कुछ मामलों को छोड़ दिया जाए तो इन घटनाओं में से अधिकांश खेत पर काम करने के दौरान की हैं.
किसानों को जागरुक कर रही ‘बाघ एक्सप्रेस’
पीलीभीत में इंसानों और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए पीलीभीत टाइगर रिजर्व और टीएसए इंडिया (टर्टल सर्वाइवल अलायंस) द्वारा मिल कर गांव-गांव में बाघ एक्सप्रेस दौड़ाई जा रही है. एक वाहन को बाघ एक्सप्रेस की शक्ल दे कर ऐसे गांवों में घुमाया जा रहा है जो इंसानों और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष के लिहाज से संवेदनशील है. इन गावों में ‘बाघ एक्सप्रेस’ के द्वारा बाघ के हमले से बचने के उपायों का अनाउंसमेंट कराया जा रहा है. वहीं नुक्कड़ नाटक और शॉर्ट फिल्मों के जरिए ग्रामीणों को फसल कटाई, खेतों में काम करने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों को लेकर जागरुक किया रहा है.
जागरुकता ही एकमात्र उपाय
अधिक जानकारी देते हुए पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि जागरुकता ही मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने का एकमात्र स्थाई उपाय है. इसके लिए ही पीटीआर की ओर से नवाचार कर स्थानीय लोगों को जागरुक करने का प्रसास किए जा रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 15:16 IST