मेहसाणा: गेहूं की खेती रबी की मुख्य फसल मानी जाती है और ये बड़ी मात्रा में उगाई जाती है. कृषि विज्ञान केंद्र खेरवा, मेहसाणा के कृषि वैज्ञानिक भारतभाई पटेल बताते हैं कि “गेहूं की बुआई का सही समय 10 नवम्बर से 31 नवम्बर तक है, लेकिन इस बार मौसम ठीक से ठंडा नहीं हो रहा, तो इसे उस वक्त बोना चाहिए जब ठंडा हो और खेत में कालीन जैसा असर फैले.”
गेहूं की प्रमुख किस्म
GW 451, गेहूं की एक नई किस्म है जो उत्पादन के लिए अच्छी है और खाने में भी बेहतरीन है. इसमें जिंक और आयरन की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो सेहत के लिए भी फायदेमंद है.
खाद का सही उपयोग
गेहूं की खेती में, बीज बिछाने से पहले प्रति बीघा 27 किलोग्राम DAP और 11 किलोग्राम यूरिया डालना चाहिए. बीज की मात्रा की बात करें तो प्रति बीघा 30 किलोग्राम गेहूं के बीज की जरूरत होती है.
गेहूं की सिंचाई का सही समय
पहली सिंचाई बुआई के 18 से 21 दिन के अंदर करनी चाहिए. अगर पहली सिंचाई इस दौरान नहीं की गई तो किसानों को 25 से 30 प्रतिशत तक उत्पादन में कमी हो सकती है.
खड़ी फसल में यूरिया का प्रयोग
जब गेहूं की फसल खड़ी हो, तो पहली सिंचाई के साथ 18 से 21 दिन के बीच प्रति बीघा 15 किलोग्राम यूरिया डालें. इसके बाद सिंचाई के दौरान यूरिया डालने से अच्छी पैदावार मिलती है. यूरिया का सही समय पर इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है, खासकर जब गेहूं अंकुरित हो चुका हो.
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चना और खल में यूरिया का इस्तेमाल
अगर खेत में चना या खल का विकास हो रहा है, तो मिल्क सीड्स की अवस्था में 300 ग्राम यूरिया 15 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें. इससे खल का विकास रुक जाएगा.
90 दिन बाद सिंचाई नहीं करनी चाहिए
गेहूं की बुआई के 90 दिन बाद कोई भी सिंचाई नहीं करनी चाहिए. इसके बाद यूरिया का इस्तेमाल भी बंद कर देना चाहिए, क्योंकि यह फसल के लिए नुकसानदायक हो सकता है.
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FIRST PUBLISHED :
November 18, 2024, 14:04 IST