गोल्डन शकरकंद में है सेहत और आय दोनों को बढ़ाने का उपाय, होने जा रहा है ये काम

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जिससे इसकी व्यावसायिक मांग बढ़ेगी. PRDF के पास इसके बीस जर्मप्लाज्म संरक्षित हैं

गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी का एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट अब ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठा रहा है. विटामिन ए से भरपूर गोल्डन शकरकंद पर किए जा रहे रिसर्च और इसके व्यावसायिक उपयोग को लेकर यूनिवर्सिटी ने एक महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की है. इस पहल में किसानों के लिए काम करने वाली संस्था पार्टीसिपेटरी रूरल डेवलपमेंट फाउंडेशन (PRDF) का सहयोग मिल रहा है.

स्वास्थ्य और निर्यात दोनों को साधेगी यह परियोजना
गोल्डन शकरकंद न केवल पोषण का बेहतरीन स्रोत है, बल्कि इसकी खेती और प्रोसेसिंग से किसानों को आर्थिक मजबूती भी मिलेगी. इस परियोजना का एक प्रमुख लक्ष्य इसे जापान जैसे देशों में निर्यात करना है, जहां न्यूट्रिशन रिच उत्पादों की भारी मांग है. हाल ही में जापान से आए प्रतिनिधिमंडल ने एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट का दौरा किया और इस परियोजना के विभिन्न पहलुओं का गहराई से अध्ययन किया.

बच्चों के लिए सुपरफूड
PRDF के अध्यक्ष प्रो. रामचेत चौधरी ने इस परियोजना के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गोल्डन शकरकंद विटामिन ए की कमी से जूझ रहे बच्चों के लिए एक आदर्श खाद्य विकल्प है. ऐसे देशों में जहां कुपोषण गंभीर समस्या है यह शकरकंद हेल्थकेयर का एक मजबूत साधन साबित हो सकता है.

किसानों के लिए नई संभावनाएं
गोल्डन शकरकंद से चिप्स, बिस्कुट, पेय पदार्थ और पकौड़े जैसे उत्पाद बनाए जा सकते हैं जिससे इसकी व्यावसायिक मांग बढ़ेगी. PRDF के पास इसके बीस जर्मप्लाज्म संरक्षित हैं जो गोरखपुर, कुशीनगर और संतकबीर नगर के किसानों को वितरित किए जाएंगे. इससे क्षेत्र में इसकी खेती को प्रोत्साहन मिलेगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी.

जापान की रुचि और भविष्य की संभावनाएं 
जापान से आए प्रतिनिधिमंडल जिसमें सुजुकी रेक्स की अध्यक्ष प्रत्यूषा और अन्य अधिकारी शामिल थे ने गहन चर्चा की. उन्होंने यूनिवर्सिटी के शिक्षकों और छात्रों से बातचीत की और शकरकंद की प्रोसेसिंग और निर्यात के लिए अपने सुझाव साझा किए. एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो. शरद कुमार मिश्र ने इस परियोजना को यूनिवर्सिटी के लिए मील का पत्थर बताया. उनका कहना है कि इससे न केवल किसानों और स्वास्थ्य क्षेत्र को लाभ होगा बल्कि यूनिवर्सिटी की रिसर्च को अंतरराष्ट्रीय पहचान भी मिलेगी.

Tags: Gorakhpur news, Local18

FIRST PUBLISHED :

November 16, 2024, 22:10 IST

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