अमरावती: जिले में लगभग हर जगह चना की बुवाई हो चुकी है. एक बार सोयाबीन की फसल कटने के बाद, किसान तुरंत खेत को चना के लिए तैयार कर लेते हैं. चना की बुवाई दिसंबर के शुरुआत तक पूरी हो जाती है. किसान ज्यादा आमदनी के लिए चना की फसल का अच्छे से ध्यान रखते हैं. फिर कई गलतियां होती हैं और फिर चना की फसल का नुकसान शुरू हो जाता है, तो चना की फसल को नुकसान से बचाने के लिए कैसे ध्यान रखा जाए? इस बारे में कृषि विशेषज्ञ श्यामसुंदर ताथोडे ने जानकारी दी है…
चना की फसल को नुकसान से बचाने के लिए कैसे ध्यान रखें?
अब कुछ किसान अभी भी चना की बुवाई बाकी हैं. उन्हें बुवाई के लिए देर से बसंत का समय नहीं लेना चाहिए. विजय, दिग्विजय, 92/18, दप्तरी 21 जैसे किस्मों का उपयोग करना चाहिए. इसके बाद, चना की फसल को सबसे आम खतरा विल्ट बीमारी का होता है. बीमारी नियंत्रण (Disease control) के लिए बीज उपचार बहुत जरूरी है. इसके लिए फंगीसाइड्स और कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए. लोकल 18 से बात करते हए कृषि विशेषज्ञ श्यामसुंदर ताथोडे ने कहा है कि अगर आप ज़ेलोरा, वार्डन, इलेक्ट्रॉन और गेहूं के साथ इसका सेवन करते हैं, तो आपकी फसल को सुरक्षा मिल सकती है.
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बता दें कि फसल को अत्यधिक बढ़ने से रोकना चाहिए. इसके लिए आप ग्रोथ इनहिबिटर्स का उपयोग कर सकते हैं, जिसमें लायोसिन, डोंगले, इलेक्ट्रिसिटी शामिल हैं. इन ग्रोथ इनहिबिटर्स का सही समय और सही मात्रा में उपयोग करना जरूरी है. आप इन्हें तब इस्तेमाल कर सकते हैं जब चना के पौधों पर कोंपलें आनी शुरू होती हैं. फिर जब कीड़े आने लगें, तो डिवॉर्मर, अंडा किलर का उपयोग करें. कैटरपिलर्स के लिए आश्रय देने के लिए, अगर आप पक्षियों के लिए रुकने की जगह देते हैं, तो वे पूरे कैटरपिलर्स को खा सकते हैं, जिससे फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है. इस तरह से आप चना की फसल का ध्यान रख सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 29, 2024, 14:06 IST