बिना धक्का दिए मरीज को नहीं ले जा सकते लोग
जमुई. बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को सुधारने के नाम पर लाखों दावे किए जाते हैं. कहा जाता है कि स्वास्थ्य सुविधाओं को वर्ल्ड क्लास बनाया जाएगा, लेकिन बिहार के जमुई जिले से स्वास्थ्य व्यवस्था की एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसने उन सभी दावों की पोल खोल कर रख दी है.
बिहार के जमुई में हालात कुछ ऐसे हैं कि अगर किसी मरीज को रेफर कर दिया जाए तो उसके परिजनों को उसे किसी बड़े अस्पताल में ले जाने के लिए एंबुलेंस को धक्का लगाना पड़ेगा. तब जाकर उसे अगले अस्पताल तक ले जाया जा सकता है. अन्यथा लोगों को अपने भरोसे उन्हें किसी दूसरे अस्पताल में ले जाना पड़ेगा. यह तस्वीर जमुई जिले के झाझा रेफरल अस्पताल से सामने आई है, जिसे देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे.
मरीज के परिजनों ने लगाया एंबुलेंस को धक्का
दरअसल जमुई जिले के झाझा रेफरल अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की हालत कुछ ऐसी हो गई है कि यहां मरीज को बड़े अस्पताल में रेफर करने के बाद उन्हें एंबुलेंस तो मिलता है, पर एंबुलेंस चालू होगा या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं होती. ऐसे ही एक तस्वीर गुरुवार को सामने आई, जब एक मरीज को रेफर करने के बाद उसके परिजनों को एंबुलेंस को धक्का लगाना पड़ा. लगातार परिजन कोशिश करते रहे, लेकिन जब उन्हें सफलता नहीं मिली. तब अस्पताल में मौजूद स्वास्थ्यकर्मी और वहां मौजूद लोगों ने भी इसमें हाथ बंटाया, फिर सब लोगों ने मिलकर जब एंबुलेंस को धक्का लगाया तब जाकर आखिरकार एंबुलेंस स्टार्ट हो सका और मरीज को ले जाया जा सका. तस्वीर सामने आने के बाद यह सवाल उठ गया है कि आखिर बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की स्थिति इतनी दयनीय कैसे हो गई है.
पहले भी सामने आई थी ऐसी तस्वीर
गौरतलब है कि बीमार अवस्था में लोग अपने इलाज के लिए अस्पताल पहुंचते हैं, लेकिन इस अस्पताल का एंबुलेंस ही लंबे समय से बीमार पड़ा है. लेकिन इस ओर देखने वाला कोई नहीं है. अभी कुछ महीनों पहले भी एक ऐसी ही तस्वीर झाझा रेफरल अस्पताल से सामने आई थी. जिसके बाद एक बार फिर एंबुलेंस को धक्का लगाने का मामला गुरुवार को सामने आया है.
पूरे मामले पर झाझा अस्पताल प्रबंधक नवनीत कुमार का कहना है कि कई महीने पूर्व इसकी सूचना विभाग को दी गई थी. एंबुलेंस को गैराज भी भेजा गया था और ठीक कराया गया था. उन्होंने यह भी कहा है कि अगर एंबुलेंस दोबारा खराब हुआ है तो उसे फिर ठीक कर लिया जाएगा. लेकिन सवाल यह उठ खड़ा होता है कि अगर धक्का लगाने के बाद भी एंबुलेंस स्टार्ट ना हो, तो ऐसी स्थिति में मरीजों को भगवान भरोसे ही इलाज नसीब हो सकेगा.
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FIRST PUBLISHED :
September 29, 2024, 14:45 IST