जहानाबाद : जहानाबाद जिले में खरीफ सीजन में 70 से 80 फीसदी हिस्सों पर धान की खेती होती है. धान की बुआई के एक महीना से ज्यादा बीत चुके हैं. सितंबर धान की खेती के लिहाज से अहम माना जाता है. मौसम में लगातार होते उतार चढ़ाव का असर धान के खेतों पर पड़ता है. इस समय पौधों में कई तरह के रोग लगते हैं. इससे बचाव करना किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण हो जाता है. जिले के मखदुमपुर क्षेत्र में धान की खेतों में लीफ फोल्डर का भारी संक्रमण देखा गया है, जिससे लगभग 100 एकड़ फसल प्रभावित हुई है.
खेतों में शुरू कर दें निरीक्षण
इस खतरनाक बीमारी को दूर करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र गंधार के कीट विशेषज्ञ डॉक्टर वाजिद हसन ने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं. एक्सपर्ट के अनुसार, अगर धान की खेती में लीफ फोल्डर संक्रमण फैल गया है तो इसके लिए खेतों का नियमित निरीक्षण करना होगा. पत्तियों के लुढ़कने और लार्वा गतिविधि के संकेतों की जाँच करें। इसके अतिरिक्त अपने धान के पौधों में मुड़ी हुई पत्तियों और अंदर दिखाई देने वाले लार्वा को ध्यान से देखें। इस तरह से आप निरीक्षण कर बीमारी पहचान सकते हैं और संक्रमण दूर कर सकते हैं.
रोकथाम के उपाय
एक्सपर्ट के मुताबिक, धान के खेतों में यदि ये संक्रमण प्रसारित हो गया है तो ऐसे में आपको घबराने की जरूरत नहीं है. इससे बचाव के लिए सबसे पहले क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5 एससी@ 0.4 मिली/लीटर पानी का छिड़काव करें. इसके आलावा वैकल्पिक रूप से त्वरित परिणामों के लिए फ्लुबेंडियामाइड 39.35 एससी @0.2 मिली/लीटर या कार्टैप हाइड्रोक्लोराइड 50 एसपी @1 ग्राम/लीटर का उपयोग करें। इससे आपको इस बीमारी से निजात पाने में मदद मिलेगी.
इन रोगों का रहता है डर
चुकी सितंबर का महीना चल रहा है. सुबह गर्मी और रात में सर्दी जैसा मौसम है, जिसके चलते धान में शीथ ब्लाइट रोग होने का डर रहता है. इसके अलावा तनाछेदक कीट, पत्ती लपेटक और फुदका जैसे बीमारियों का भी डर रहता है. ऐसे में किसानों के लिए यह महीना काफी अहम हो जाता है. हालांकि, इन सभी रोगों से बचाव के लिए लगातार अपने खेतों का निरीक्षण करते रहें ताकि अगर किसी भी तरह का कोई रिएक्शन खेतों में देखने को मिले तो तत्काल उपाय कर सकें.
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FIRST PUBLISHED :
September 29, 2024, 21:02 IST