Isreal Hamas War: जमीन को लेकर ही जंग पूरी दुनिया में लड़ी जा रही है. हाईटेक लॉन्ग रेंज हथियार दुश्मनों के ठिकानों को नष्ट जरूर कर सकता है लेकिन जमीन पर कब्जे के लिए तो पैदल सैनिकों को ही जाना होगा. किसी भी ग्राउंड ऑफेंसिव ऑपरेशन से पहले मिसाइल, रॉकेट, फाइटर, ड्रोन का इस्तेमाल कर सभी खतरों को कम कर दिया जाता है और उसके बाद घुसते हैं टैंक. दुनिया के तमाम देश टैंक का इस्तेमाल करते है लेकिन इन सब टैंक में एक टैंक ऐसा है जो कि दुनिया से अलग है. ये टैंक इजरायल का मेन बैटल टैंक “मर्कवा”
4 बार रौंद चुका है लेबनान को
जिस वक्त रूसी , अमेरिकी , जर्मन और यूके के टैंक दुनिया में बोलबाला था, ऐसे वक्त में एंट्री हुई इजरायल जैसे छोटे देश के टैंक मर्कावा की. 1982 में मर्कावा टैंक को पहली बार लेबनान वॉर में उतारा गया. जिसके लिए इसने लेबनान में जो गदर मचाया वो दुनिया के सामने नज़ीर बन गया. फ़िलिस्तीन लिब्रेशन ऑर्गनाइजेशन और सीरिया के साथ जमकर जंग हुई. इजरायल का दावा है कि उस वक़्त के सबसे बेहतर माने जाने वाले सीरिया के रूसी टैंक T-72 से बेहतर प्रदर्शन किया. इसके बाद 1985 में फिर से मर्कावा ने लेबनान की तरफ़ रुख़ किया साउथ लेबनान कॉंफेलिकट में. 2006 लेबनान वॉर में फिर से इजरायल सेना ने मर्कावा टैंक से रौंदा और 18 साल बाद मर्कावा के एडवांस्ड टैंक मर्कावा-मार्क 3 और मर्कावा-मार्क 4 फिर से लेबनान में है . भले ही हिज़्बुल्लाह के साथ सीजफायर हो गया हो लेकिन मर्कावा अब भी दक्षिणी लेबनान में मौजूद है . इस टैंक के ज़रिए IDF ने हिज़्बुल्लाह के ठिकानों और लड़ाकों को ढेर किया यहाँ तक कि इजरायल सेना को ब्लू लाइन पर मौजूद यूएन पीसकीपर के पोजिशन को भी निशाना बनाया और नुक़सान बनाया
दुनिया के सबसे बेहतरीन टैंक में एक
इस वक़्त दुनिया भर के देश अपने टैंक को आज की तकनीक के लेहाजा से अपग्रेड करने में जुटे है. 1978 में मर्कावा मार्क-1 आया. 1982 में लेबनान वॉर से सीख लेते हुए इसका 1983 में उसका एडवांस वर्जन मार्क-2 आया, और 1989 में मर्कावा मार्क-3 शामिल किया गया और फिर आया अब तक का सबसे एडवांस टैंक मर्कावा मार्क-4. जो कि 2004 में आया. टैंक की खासियत तीन चीज पर निर्भर होती है पहली फायर पावर, दूसरा मोबिलिटी और तीसरा सबसे जरूरी प्रोटेक्शन. इजरायल टैंक मर्कवा में क्रू प्रोटेक्शन के लिए एक ऐसा बदलाव कर दिया गया जो इसे दुनिया भर के टैंकों से अलग कर देता है. वो है इसका इंजन. अब मन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि आखिर इंजन से क्रू प्रोटेक्शन का क्या लेना देना. इंजन तो टैंक मोबिलिटी के लिए होता है. प्रोटेक्शन के लिए नही. लेकिन इजरायल टैंक मर्कवा में इंजन दोनों काम के लिए इस्तेमाल होता है क्योंकि दुनिया में ये इकलौता टैंक है जिसका इंजन आगे है जबकि सामान्य तौर पर इंजन पीछे होता है. इंजन आगे होने से क्रू की सुरक्षा बढ़ जाती है.
अगर आमने सामने की टैंक वॉर हो या कोई मिसाइल दागी गई हो, तो अगले हिस्से को हिट करता है तो टैंक को तो नुकसान होता है लेकिन इंजन आगे होने के चलते क्रू सेफ हो जाता है. डायरेक्ट इंपैक्ट नहीं होता. इसके अलावा आर्मर प्रोटेक्शन सिस्टम जिसका नाम है ‘दी ट्राफी’ जो कि टैंक पर फायर किए गए किसी भी एंटी टैंक मिसाइल को हिट करने से पहले ही इंटरसेप्ट कर लेता है. लेकिन जिस तरह से छोटे ड्रोन और लॉयटरिंग एम्यूनेशन से टैंक को निशाना बानाया जा रहा तो डायरेक्ट इंपैंकट से बचने के लिए टर्रेट जो कि सबसे कमजोर हिस्सा होता है, टैंक का उसे जाली से ढक कर इस्तेमाल किया जा रहा है.
5 KM तक दाग सकता है गोले
इसके फायर पावर की बात करें तो इसका मेन आर्मामेंट 120 mm स्मूथ बोर बैरल है जिससे एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल भी फायर किया जा सकता है. इसके अलावा ये मशीन गन, ग्रेनेड लॉन्चर से भी लेस है इसकी अधिकतम रफ्तार रोड पर 64 किलोमीटर प्रति घंटा है. ये ऑफ रोड 55 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है. इसमें 48 राउंड पेलोड के साथ मूव कर सकता है और इसकी मारक क्षमता 5 किलोमीटर के करीब है. इसकी एक और खास बात ये है कि इमर्जेंसी में मर्कावा में चार स्ट्रेचर भी लगाए जा सकते हैं क्योंकि इंजन आगे होने के चलते पीछे काफी जगह है
गाजा में भी मचा रहा है ग़दर
7 अक्टूबर को हमास के इजरायल के हमले के बाद जब IDF ने ग्राउंड अटैक के दौरान गाजा में मर्कावा टैंक के जरिए तबाही मचानी शुरू की . चूँकि अर्बन वॉरफेयर के लिए टैंक नहीं बने हैं और गाजा पट्टी तो एक कंक्रीट का जंगल जैसा है एसे में मर्कावा ने यहाँ भी अपनी लोहा मनवाया और अब भी लगातार गाजा में हमास के खिलाफ ग़दर मचा रहा है .
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FIRST PUBLISHED :
November 30, 2024, 12:34 IST