Agency:News18 Uttarakhand
Last Updated:January 27, 2025, 22:31 IST
Almora News : कभी बैठने की जगह नहीं मिलती थी और आज बैठने वाले नहीं मिलते हैं. पहले देर रात तक होता था प्रोग्राम अब आधा घंटा भी होली गायन ठीक ढंग से नहीं हो पाता. पुराने लोग इससे काफी दु:खी हैं.
अल्मोड़ा के हुक्का क्लब में बैठकी गायन करते लोग.
हाइलाइट्स
- अल्मोड़ा की बैठकी होली अब फीकी होती जा रही है.
- सांस्कृतिक धरोहर का घटता आकर्षण.
- लोगों के पास समय की कमी और मनोरंजन के साधन बढ़े.
अल्मोड़ा. सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा की बैठकी होली काफी प्राचीन और मशहूर है. यहां की बैठकी होली पौष माह के पहले रविवार से शुरू हो जाती है. करीब ढाई महीने पहले से होली गायन यहां पर शुरू हो जाता है और काफी संख्या में लोग इस बैठकी होली में आकर होली गायन करते हैं. लेकिन धीरे-धीरे बैठकी होली अब फीकी होती नजर आ रही है. पहले से काफी संख्या में लोग बैठकी होली में आते थे. अब हालत ऐसे हो गए हैं कि एक या दो ही लोग इस बैठकी में पहुंच रहे हैं. कुछ साल पहले तक इस बैठकी होली में काफी संख्या में लोग आकर होली गायन करते थे, जो देर रात तक चलता था. अब आधा घंटा भी होली गायन ठीक ढंग से नहीं हो पाता. अल्मोड़ा के हुक्का क्लब और अन्य जगह में होली गायन के सुर सुनने को मिलते थे, अब वो भी धीरे-धीरे काम होते जा रहे हैं.
लोगों के पास नहीं है समय
लोकल 18 से बातचीत में वरिष्ठ रंगकर्मी त्रिभुवन गिरी महाराज कहते हैं कि बैठकी होली के फीकी होते जाने का कारण लोगों के पास समय न होना है. पहले मनोरंजन के साधन कम थे, अब लोगों के पास मनोरंजन के साधन ज्यादा हैं, जिस वजह से लोग बैठकी होली से दूर हो रहे हैं. युवा पीढ़ी में तो इसके प्रति उत्साह ही नहीं है. एक दो बुजुर्ग लोग ही हैं जो कभी-कभी समय निकाल कर आ जाते हैं. धीरे-धीरे ये विधा खत्म होती जा रही है.
बुलाना हो रहा है मुश्किल
अल्मोड़ा के हुक्का क्लब में होली गायन को जीवित रखने के लिए चार से पांच लोग इकट्ठा कर होली गायन किया जा रहा है. इस परंपरा को जीवित रखना है ताकि कोई न कोई इसे आगे तक लेकर जाए. पहले इस क्लब में बैठने तक जगह नहीं मिल पाती थी, अब पांच लोग भी इकट्ठा करना मुश्किल हो जाता है.
Location :
Almora,Uttarakhand
First Published :
January 27, 2025, 22:31 IST