नई दिल्ली:
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में जो परिणाम अभी तक आए हैं उसे देखकर तो ये ही लग रहा है कि कांग्रेस इन दोनों ही राज्यों से बड़ी सीख लेगा. खास तौर पर अगर झारखंड की बात करें तो वहां तो कांग्रेस अपना गठबंधन धर्म भी सही से नहीं निभा पाई. हम ये बातें ऐसे ही नहीं कर रहे हैं दरअसल, झारखंड ने इंडिया गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था. लेकिन जब चुनाव प्रचार की बारी आई तो राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इंडिया गठबंधन के दूसरे दलों के उम्मीदवारों के लिए एक भी रैली नहीं की. जबकि इंडिया गठबंधन के दूसरे घटक दलों ने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए जमकर चुनाव प्रचार किया. ऐसे में कांग्रेस को झारखंड चुनाव से जो सबसे बड़ी सीख लेनी चाहिए वो ये कि आखिर किसी गठबंधन में रहते हुए गठबंधन धर्म को कैसे निभाया जाता है.
आपको बता दें कि चुनावी नतीजों में झारखंड विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन बड़ी जीत की तरफ बढ़ रहा है. रुझानों में अभी तक इंडिया गठबंधन कुल 51 सीटों पर आगे चल रही है. इस चुनाव में अब भले ही इंडिया गठबंधन की जीत पक्की दिख रही हो लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा झारखंड में ज्यादा रैली ना करना अब एक बड़ा मुद्दा बनता दिख रहा है. आपको बता दें कि इस चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने गठबंधन के सहयोगी झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए एक भी चुनावी रैली नहीं की थी. झारखंड में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने कुल छह रैलियां की थी. ये तमाम रैलियां उन सीटों पर ही की गई थीं जहां खुद कांग्रेस के उम्मीदवार मैदान में थे. राहुल गांधी और खरगे द्वारा झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के उम्मीदवारों के लिए प्रचार ना करने को लेकर JMM के अंदर खासी निराशा भी थी.
कांग्रेस ने JMM के लिए प्रचार ना करने की बताई थी ये वजह
झारखंड में चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी के शीर्ष नेताओं द्वारा JMM के किसी भी उम्मीदवार के लिए प्रचार ना करने को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे का बचाव किया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि दरअसल, इन दिनों राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे का फोकस लोकसभा की दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर भी था. इनमें से एक सीट वायनाड की थी. जहां से खुद प्रियंका गांधी चुनावी मैदान में हैं.जहां तक बात गठबंधन के लिए समर्पित रहने की है तो पार्टी ने हमेशा से ही इंडिया गठबंधन को अपनी प्राथमिकताओं में रखा है और गठबंधन हमारे लिए हमेशा से ही पहली प्राथमिकता रहेगा.
कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए जेएमएम और आरजेडी ने की थी रैलियां
उधर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन सभी इंडिया ब्लॉक उम्मीदवारों के अनुरोध पर उनके लिए प्रचार कर रहे थे. यही वजह थी कि झारखंड में चुनाव प्रचार के दौरान हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना ने 90 से ज्यादा रैलियों को संबोधित किया. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव ने भी कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया था. आपको बता दें कि झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कुल 30 सीटों पर चुनाव लड़ी है. जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कुल 41 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. वहीं आरजेडी छह और वामपंथी दल ने चार सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे.
वहीं, बात अगर भारतीय जनता पार्टी की करें तो उन्होंने राज्य की कुल 68 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. जबकि आजसू पार्टी ने 10 और जेडीयू ने दो और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने एक सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे थे.
2019 में JMM को मिली थी इतनी सीटें
अगर बात 2019 में हुए चुनाव की करें तो उस दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कुल 30 सीटें जीती थीं, वहीं बीजेपी को कुल 25 सीटें मिली थीं. 2019 में JMM-कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन ने कुल 47 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया था.