हाइलाइट्स
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार झारखंड में चुनाव प्रचार करने के लिए क्यों नहीं गए? क्या बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे से थे नाराज या कोई रणनीति थी इसके पीछे?
पटना. झारखंड विधान सभा चुनाव के लिए इंडिया गठबंधन की ओर से राहुल गांधी से लेकर तेजस्वी यादव और लालू यादव तक चुनाव प्रचार करने झारखंड पहुंचे थे. वहीं, एनडीए से बीजेपी के कई मुख्यमंत्री से लेकर गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री तक ने चुनावी प्रचार किया. लेकिन, एनडीए की मजबूत सहयोगी जदयू के सबसे बड़े नेता नीतीश कुमार प्रचार करने झारखंड नहीं गए. खास बात यह है कि जेडीयू के दो उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में है. अब इस मुद्दे को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है और कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. विशेष तौर पर राजद के ये कहने पर कि नीतीश कुमार एनडीए से नाराज हैं, बिहार में सियासत गर्म है.
दरअसल, चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि नीतीश कुमार आखिर प्रचार के लिए क्यों नहीं गए. क्या नीतीश कुमार झारखंड में बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे से नाराज थे या फिर उन्हें बिहार में मुस्लिम वोटरों के नाराज होने का खतरा दिख रहा था, या फिर इसके पीछे भी कोई रणनीति थी. सवाल इस वजह से भी खड़ा हो रहा है क्योंकि चिराग़ पासवान झारखंड में चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे. इसको लेकर बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने जवाब दिया है.
नीतीश कुमार का नहीं जाना मुद्दा नहीं-अशोक चौधरी
झारखंड के जदयू प्रभारी अशोक चौधरी नीतीश कुमार के झारखंड मे चुनाव प्रचार नहीं करने पर कहते हैं, जिस वक्त झारखंड में चुनाव हो रहा था उस वक्त बिहार में भी चार सीट पर उपचुनाव हो रहा था, जो बिहार के सियासत के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है. इसमें एनडीए के उम्मीदवार के लिए नीतीश जी ने कई चुनावी सभाएं कीं और इस वजह से भी नहीं जा पाए. अशोक चौधरी ने ये भी कहा कि जदयू के नेताओं ने तो चुनाव प्रचार किया ही है झारखंड में. फिलहाल ऐसा नहीं लग रहा है कि झारखंड में चुनाव प्रचार नहीं करने जाना कोई मुद्दा है.
अपनी छवि की नीतीश कुमार को चिंता
वहीं, बिहार के वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे कहते हैं कि नीतीश कुमार एक बड़े नेता हैं और झारखंड चुनाव प्रचार नहीं करने जाना सवाल तो खड़ा करेगा ही. नीतीश कुमार की छवि एक सेक्युलर नेता की रही है और बीजेपी के साथ रहने के बावजूद उन पर मुस्लिम वोटर का झुकाव रहता है. नीतीश कुमार के चुनाव प्रचार नहीं करने जाने की एक वजह ये भी हो सकती है कि बीजेपी ने इस बार खुलकर हिंदुत्व का कार्ड खेला है जो नीतीश कुमार की राजनीति को शूट नहीं करता है. शायद एक वजह ये भी हो सकती है कि नीतीश कुमार अपने CCC की छवि को बरकरार रखना चाहते हैं.
सियासत की पहेली-जो दिखता है वह होता नहीं
अरुण पांडे कहते हैं, जदयू का बहुत बड़ा दांव झारखंड में नहीं लगा हुआ था. दो सीट पर भले ही जदयू लड़ रहा था, लेकिन वो भी अपने सिंबल पर नहीं, बल्कि सिलेंडर चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ रहा है. इस वजह से भी नहीं गए होंगे. जबकि रघुवर दास उनके काफी अच्छे मित्र भी थे. वहीं, खबर ये भी है कि झारखंड बीजेपी ने नीतीश कुमार के चुनाव प्रचार कराने को लेकर भी बहुत उत्साह नहीं दिखाया होगा. अगर नीतीश कुमार को बुलाना रहता तो शायद नीतीश कुमार की एक दो चुनावी सभा जरूर हुई होती. बहरहाल, सियासत में जो दिखता है वह होता नहीं है और जो होता है वह दिखता नहीं है. ऐसे में नीतीश कुमार को लेकर उठ रहे सवाल के जवाब ढूंढे जा रहे हैं.
Tags: Bihar NDA, Bihar politics, CM Nitish Kumar
FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 16:46 IST