झुंझुनूं. झुंझुनूं विधानसभा सीट पर इस बार बड़े उल्टफेर होने के कयास लगाए जा रहे हैं. उपचुनाव के वोटों की गिनती में कांग्रेस अपने सबसे बड़े गढ़ में झुंझुनूं में बुरी तरह से पिछड़ी रही है. बीते 20 बरसों से झुंझुनूं में काबिज कांग्रेस को इस बार यहां सर्दी में भी जोरदार पसीना आ रहा है. यहां बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढ़ा ने कांग्रेस और बीजेपी के परंपरागत के वोटर्स में सेंधमारी कर उनको चिंता में डाल दिया है. यहां बीजेपी के राजेन्द्र भांमू, कांग्रेस के अमित ओला और निर्दलीय प्रत्याशी राजेन्द्र गुढ़ा में मुकाबला चल रहा है.
झुंझुनूं बीते दो दशक से कांग्रेस के कब्जे में है. कांग्रेस प्रत्याशी अमित ओला के पिता बृजेन्द्र ओला बीते चार विधानसभा चुनावों से लगातार जीतते आ रहे थे. पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उनको मैदान में उतार दिया था. बृजेन्द्र ओला भारी मतों के अंतर से सांसद का चुनाव जीत गए थे. इससे यह सीट खाली हुई तो कांग्रेस ने बृजेन्द्र ओला के बेटे अमित ओला को टिकट थमा दिया. लेकिन इस बार उसकी यह रणनीति गड़बड़ा गई.
अल्पसंख्यक समुदाय कांग्रेस से खफा दिख रहा है
अमित ओला के चुनाव मैदान में उतरने टिकट के अन्य दावेदारों और यहां का सबसे बड़ा वोट बैंक अल्पसंख्यक कांग्रेस से खफा दिखा. उसने इस बार टिकट की मांग की थी लेकिन कांग्रेस ने परिवारवाद की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सांसद बृजेन्द्र ओला के बेटे को टिकट दे दिया. माना जा रहा है कि इससे खफा कांग्रेस का यह वोट बैंक निर्दलीय प्रत्याशी राजेन्द्र गुढ़ा की तरफ खिसक गया है. इससे कांग्रेस को यहां बड़ा झटका लग सकता है.
11 साल बाद एकमुखी होकर चुनाव लड़ रही है बीजेपी
वहीं बीजेपी ने इस बार 11 साल बाद एकमुखी होकर चुनाव लड़ा है. बीते तीन विधानसभा चुनावों में वो बगावत के चलते हाशिये पर चली जाती थी. हालांकि बगावत के सुर इस बार भी उठे थे लेकिन बीजेपी के आलानेताओं ने समय रहते उस पर काबू पा लिया और बागी हुए बबलू चौधरी को मनाकर अपने कैंम्प में वापस ले आए. इसका बीजेपी को बड़ा फायदा मिलता दिख रहा है. हालांकि बीजेपी का भी परंपरागत राजपूत वोट बैंक थोड़ा बहुत स्वजातीय प्रत्याशी राजेन्द्र गुढ़ा की तरफ खिसका है लेकिन उसकी संख्या बेहद कम बताई जा रही है.
काफी समय बाद झुंझुंनूं में त्रिकोणीय मुकाबला हुआ है
इस बार काफी समय बाद झुंझुंनूं में त्रिकोणीय मुकाबला हुआ है. राजेन्द्र गुढ़ा ने निर्दलीय दंगल में आकर कांग्रेस की हालत खराब कर दी. अल्पसंख्यक समुदाय को भी कांग्रेस को सबक सिखाने का ठिकाना मिल गया और चुनाव रोचक हो गया. बहरहाल काउंटिंग जारी है. कुछ ही देर में अंतिम परिणाम सामने आ जाएगा और यह साफ हो जाएगा कि कांग्रेस अपने गढ़ को बचा पाएगी या नहीं.
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FIRST PUBLISHED :
November 23, 2024, 11:12 IST