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श्रीनगर गढ़वाल. उत्तराखंड में अधिकतर लोगों का जीवन पशुपालन पर ही निर्भर होता है. मैदानी क्षेत्रों के मुकाबले पर्वतीय क्षेत्रों में सर्दियों के समय तापमान में अत्यधिक गिरावट देखने को मिलती है. इस दौरान पशुओं में भी इंसानों की तरह सर्दी-जुकाम, बुखार, हाइपोथर्मिया और सांस संबंधित समस्याएं देखने को मिलती है. इन बीमारियों के कारण दुधारू पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता भी घटने लगती है. ऐसे में पर्वतीय क्षेत्र के पशुपालकों को पशुओं का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकत होती है. सर्दियों में पालतू पशुओं जैसे गाय, भैंस और अन्य जानवरों का ध्यान कैसे रखना होता है इसको लेकर लोकल 18 ने राजकीय पशु चिकित्सालय के पशुचिकित्सक डॉ. उत्तम कुमार से खास बातचीत की.
डॉ. उत्तम कुमार ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में सर्दियों के समय तापमान गिर जाता है. इन दिनों उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में न्यूनतम तापमान 8-9 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 25-26 डिग्री सेल्सियस तक रिकॉर्ड किया है. वहीं, पहाड़ी इलाकों में न्यूनतम तापमान 4-5 डिग्री और अधिकतम 15-16 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है. दिसंबर में तापमान और गिर सकता है. इससे पशुओं में सर्दी-जुकाम, बुखार और सांस संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाएगा है. वहीं भेड़, बकरियों में सर्दी के समय सांस संबंधित बीमारी हो जाती है.
सर्दियों में ऐसे रखें पालतू पशुओं का ध्यान
- सर्दी से बचाव के लिए पशुओं के बाड़े और गौशाला को अच्छे तरीके से ढकना होता है
- इसके अलावा सर्दियों में पशुओं को पानी हल्का करके ही पिलाना चाहिए.
- अगर पशु को नहलाते हैं, तो उसे गर्म पानी से ही नहलाना चाहिए.
- प्रतिदिन गौशाला को साफ करना होता है और फर्श को सूखा रखना होता है.
- ठंड से पशुओं को बचाने के लिए पशु का बिछावन की मोटाई, खिड़कियों पर बोरी व टाट के पर्दे आदि पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
पशुओं की डाइट ये सब करें शामिल
ठंड के मौससम में चारे में दाने की मात्रा को बढ़ाना चाहिए और उन्हें भरपेट खाना देना होता है. पशुओं को ऐसे आहार दें जिसमें ऊर्जा, प्रोटीन, खनिज तत्व, पानी, विटामिन व वसा आदि पोषक तत्व मौजूद हो. इस दौरान पशुओं को हरा चारा जैसे बरसीम जरूर खिलाएं. लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रहे कि सिर्फ हरा चारा खिलाने से पशु को अपच की समस्या हो जाती है, ऐसे में हरे चारे के साथ सूखा चारा मिलाकर खिलाएं. इसके साथ पशुओं की डाइट में अनाज के तौर पर गेहूं का दलिया, खल, चना, ग्वार बिनोला, झंगोरे का भात आदि दिया जाना चाहिए. इन सब चीजों का ध्यान देने के बात पर्वतीय क्षेत्रों में तापमान गिरने के बाद भी पशु स्वस्थ रहेंगे.
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FIRST PUBLISHED :
November 29, 2024, 20:52 IST