पति और पत्नी का रिश्ता काफी गहरा होता है. दोनों सात जन्मों तक साथ रहने का वचन लेते हैं. इस रिश्ते में काफी एडजस्टमेंट करनी पड़ती है. कभी पत्नी को अपनी जिंदगी के फैसले बदलने पड़ते हैं तो कभी पति को. लेकिन ये बदलाव मर्जी के साथ होने चाहिए. इंदौर हाईकोर्ट ने एक तलाक के मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि पति-पत्नी अपने पार्टनर से मन के मुताबिक़ जबरदस्ती रहने को नहीं का सकते. ये क्रूरता है.
इंदौर के पारिवारिक कोर्ट में एक मामला दर्ज करवाया गया था. इसमें एक पत्नी ने अपने पति पर उसे जॉब ना करने देने के लिए दवाब डालने का आरोप लगाया था. साथ ही कहा था कि उसे जॉब ना करने देने के लिए उसका पति बल का प्रयोग भी करता था. उसे मारता-पीटता भी था. इस कारण महिला ने तलाक की अर्जी लगाई थी. लेकिन फैमिली कोर्ट ने इस वजह के आधार पर तलाक को नामंजूर कर दिया था. लेकिन अब इंदौर हाई कोर्ट ने इस फैसले को बदल दिया है.
जॉब की जंग
मामला 2020 में पारिवारिक न्यायलय में आया था. एलआईसी ऑफिस में काम करने वाली एक महिला ने अपने पति से तलाक मांगा था. महिला ने बताया कि उनकी शादी 2014 में हुई थी. 2017 में उसकी पत्नी की नौकरी लगी थी. लेकिन उसके पति का कहना था कि जब तक उसकी नौकरी ना लगे तब तक महिला भी नौकरी ज्वाइन ना करे. इसके बाद से ही दोनों अलग रह रहे थे. लेकिन फैमिली कोर्ट ने इस आधार पर तलाक देने से मना कर दिया था.
हाईकोर्ट ने बदला फैसला
महिला ने फैमिली कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी. इसमें इंदौर हाईकोर्ट ने कहा कि अपने पार्टनर को जबरदस्ती अपने हिसाब से चलवाना टॉर्चर है. ऐसा नहीं किया जा सकता. हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि दोनों तलाक ले सकते हैं. पति-पत्नी साथ रहना चाहें या नहीं, ये उनका फैसला है. इस मामले में पति नहीं चाहता था कि बीवी को तलाक मिले. ये भी अपने आप में क्रूरता है.
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FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 12:12 IST